लहूलुहान लखीमपुर की 3 दास्तानें- इकलौता बेटा किसानों की लड़ाई लड़ने गया था, कफन में लौटा; पिता पर बेटे के सामने ही गाड़ी चढ़ा दी
लखीमपुर खीरी में रविवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कथित तौर पर गाड़ी चढ़ा दी। ये किसान डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य का विरोध कर रहे थे। इस घटना में 9 लोगों की मौत हो गई, जिसमें चार किसान थे। घटना के बाद मृतक किसानों के घरों पर मातम पसरा हुआ है। सभी का रो-रोकर बुरा हाल है।

हालांकि सोमवार को सरकार की ओर से मृतक किसानों के परिजनों को 45 लाख रुपए का मुआवजा और सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया गया है, लेकिन लखीमपुर के लवप्रीत के परिजन का कहना है कि उनका इकलौता बेटा किसानों की लड़ाई लड़ने गया था, अब उसका शव कफन में लाया गया है। बहराइच के राजदीप ने बताया कि उसके पापा को उसके सामने ही मार डाला, उनके ऊपर गाड़ी चढ़ा दी, वो उठ ही नहीं पाए। परिजनों ने बताया कि उनका तो सब कुछ चला गया, अब मुआवजे का क्या करेंगे।
आइए पढ़ते हैं, घरों में कैसा है माहौल…

मेरी आंखों के सामने ही पापा को मार डाला
बहराइच में नानपारा कोतवाली के बंजारन टोला गांव के रहने वाले दलजीत सिंह रविवार को बेटे राजदीप के साथ लखीमपुर में किसान आंदोलन में गए थे। बेटे राजदीप ने बताया कि जब माहौल बिगड़ा तो वह पापा के साथ था -‘सभी प्रदर्शन कर रहे थे तभी अचानक अफरा-तफरी मच गई। पापा कुछ समझ पाते, तब तक पीछे से आ रही तीन गाड़ियां रौंदकर निकल गई। पापा, मेरी आंखों के सामने तड़प रहे थे, लेकिन मैं कुछ नहीं कर पाया। मैं चिल्ला रहा था, रो रहा था। थोड़ी ही देर में पापा की सांसें थम गईं। वहां लोगों ने मेरे पापा को छीन लिया’। यह बात बताते हुए मृतक किसान दलजीत सिंह का बेटा राजदीप बेहोश हो गया। रिश्तेदारों ने उसे संभाला। मृतक के परिवार में पत्नी, तीन बच्चे और माता पिता हैं।

रिश्तेदारी में न गया होता तो मेरा भाई आज जिंदा होता

बहराइच के नानपारा कोतवाली क्षेत्र के मोहरनिया गांव के रहने वाले गुरविंदर सिंह रविवार को लखीमपुर में रिश्तेदारी में गए थे। वहां उनकी मौत हो गई। मृतक के चचेरे भाई पूरन सिंह ने बताया कि रविवार सुबह ही वह रिश्तेदारी में जाने के लिए निकल गए थे। दोपहर को लखीमपुर पहुंचे तो आंदोलन में फंस गए। आसपास के लोगों ने हिंसा के बारे में बताया तो रिश्तेदारों को फोन किया, लेकिन उन्होंने बताया वह यहां पहुंचे ही नहीं। गुरविंदर को फोन मिलाया तो नंबर बंद आ रहा था। देर रात गुरविंदर की मौत की सूचना मिली। पूरन सिंह ने कहा कि काश! वह रिश्तेदारी में न गया होता तो आज जिंदा होता। वहां पर क्या हुआ उनके साथ, इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

गुरविंदर की मौत के बाद गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। मृतक के घर के बाहर पुलिस का जमावड़ा है। लोगों के आने का सिलसिला जारी है। मृतक किसान के घर पर रिश्तेदार व बड़े भाई ही मौजूद हैं। घटना के बाद लोगों की आंखें आंसुओं से भरी हैं। मृतक किसान के सिर से मां-बाप का साया पहले उठ चुका है। तीन एकड़ की जमीन में दो भाई खेती करके अपना व परिवार का गुजारा कर रहे थे। मृ़तक किसान महंत भी था। वह गुरुद्वारे में जाकर धर्म का प्रचार करते थे। बड़े भाई व बहन की शादी पहले ही हो चुकी है।

अब कौन रहेगा मकान में, मैंने उसे रोका क्यों नहीं
लखीमपुर में चौखड़ा फार्म मझगाई पलिया के रहने वाले लवप्रीत भी रविवार को किसान आंदोलन में शामिल होने गए थे। परिवार में माता-पिता और दो बहनें गगनदीप कौर और अमनदीप कौर हैं। लवप्रीत ने पिछले साल ही इंटर पास किया था। इसके बाद डीएलएड का फॉर्म डाला था। परसेंटेज कम आए तो उसने खेती करनी शुरू कर दी थी। उनके ताऊ केवल सिंह ने बताया कि लवप्रीत बहुत होनहार था। उसने हाल ही में अपने कमाई से गांव में मकान बनाया है। कहता था कि पूरे गांव में सबसे अच्छा घर उसी का होगा।
रविवार दोपहर लवप्रीत उनके पास आया। वह बोला- गांव में आंदोलन है, अब मैं भी किसान हूं तो जाना पड़ेगा। शाम को लौट आऊंगा। इसके बाद वह चला गया। देर रात उसकी मौत की सूचना मिली। अब कौन रहेगा मकान में, उसके बिना सब बेकार है। उसकी याद आती है तो कलेजा जलता है। सोचता हूं, मैंने उसे रोका क्यों नहीं।
