7 से 13 नवम्बर तक रायपुर छत्तीसगढ़ में दही – हांड़ी मैदान हनिमान मंदिर ,गुढ़ियारी में हो रहा भव्य आयोजन

रायपुर छत्तीसगढ़ में पंडित जी ने चम्पेश्वर शिवमहापुराण में बताई जगतगुरु वल्लभाचार्य और चम्पेश्वर महादेव का प्रागट्य
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने बहाए शिव महापुराण की पावन गंगा ,इस गंगा में डूबकी लगाने उमड़ी लांखो भक्तों की भीड़
रायपुर । पंडित जी ने बताया शिव जी के जिन नौ वनों का जिक्र हुआ है जिसमें काशी का नंदनवन दूसरा उज्जैन का महाकालवन वैसे ही चम्पावन जो बाद में चाम्पाझार फिर बाद में चंपारण हुआ ये भी शामिल है व् जिस प्रकार काशी के नंदनवन में भगवान् शिव काशी विश्वनाथ के रूप में स्वयंभू है, उज्जैन में महाकाल जी स्वयंभू हैं वैसे ही छत्तीसगढ़ के चम्पावन में मेरे शिव स्वयंभू प्रगट हुए हैं ।इस्नको किसी ने स्थापित नहीं किया है ये स्वयं प्रगट हुए है भगवान का स्वरुप है ।
हरी अनन्त हरी कथा अनंता लोगों ने सूना है लेकिन अब वो देख पा रहे है इसे शिव महापुराण में । जी हा आपने सही समझा हम उस शिव महापुराण की बात कर रहे हैं जिसमें भगवान शिव भोलेनाथ औघड़दानी स्मशानवासी की कथा वाचक सीहोर मध्य प्रदेश के पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी द्वारा किया वर्तमान में रायपुर छत्तीसगढ़ के गुदियारी हनुमान मंदिर प्रांगण में किया जा रहा है ।यहाँ भक्तगण वो जानकारी भगवान् शिव की महिमा के बारे में जान रहे हैं जिसके बारे में कभी लोगों ने सूना भी नहीं था, जाना नहीं था ।
कुछ वर्ष पहले शिव महापुराण के बारे में लोग इतना बस जानते थे की यह शिव महापुराण एक महान धार्मिक ग्रन्थ है चूँकि इस पुराण में शिव का नाम जुड़ा है इसलिए स्पष्ट था की शिव की महिमा का इसमें वर्णन है,बाकी ज्यादा कुछ नहीं ,लेकिन जब से इस महान धार्मिक ग्रन्थ शिव महापुराण का प्रवचन सीहोर के पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी द्वारा इतने सुन्दर मनमोहक रूप में सुन्दर संगीतमई प्रवचन किया जा रहा है वह सबके दिलों दिमाग में छा चूका है ।
मशहूर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा आखिर हैं कौन ?
मध्यप्रदेश के सीहोर में जन्में पंडित प्रदीप मिश्रा अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताते हैं। उन्होंने कहा- मेरा जन्म घर के आंगन में तुलसी की क्यारी के पास हुआ था, क्योंकि अस्पताल में जन्म के बाद दाई को जो रुपए दिए जाते थे उतने भी हमारे पास नहीं थे। मेरे पिता स्व. रामेश्वर मिश्रा पढ़ नहीं पाए। चने का ठेला लगाते थे। बाद में चाय की दुकान चलाई, मैं भी दुकान में जाकर लोगों को चाय दिया करता था।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया- मेरा कोई लक्ष्य नहीं था, मैं दूसरों के कपड़े पहनकर स्कूल गया, दूसरों की किताबों से पढ़ा। बस यही चिंता रहती थी कि पेट भर जाए और परिवार को संभाल लें। भगवान शिव ने पेट भी भरा और जीवन भी संवारा। हमें याद है, बहन की शादी का जिम्मा था, मुझे याद है सीहोर के एक सेठ की बेटी की शादी हुई तो भवन में डेकोरेशन था। हम उस सेठ के पास हाथ जोड़कर कहने गए थे कि वो अपना डेकोरेशन रहनें दें ताकि इसी में हमारी बहन की शादी हो जाए।


गुरु ने कहा था तुम्हारा पंडाल खाली नहीं रहेगा
पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि सीहोर में ही एक ब्राह्मण परिवार की गीता बाई पराशर नाम की महिला ने उन्हें कथा वाचक बनने प्रेरित किया। वो दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम करती थीं। मैं उनके घर पर गया था, उन्होंने मुझे गुरुदीक्षा के लिए इंदौर भेजा। मेरे गुरु श्री विठलेश राय काका जी ने मुझे दीक्षा दी। पुराणों का ज्ञान दिया।

पंडित मिश्रा बताते हैं कि उनके गुरु के मंदिर में सैंकड़ो पक्षी रहते हैं। गुरु पक्षियों से श्री कृष्ण बुलवाते थे। मंत्र बुलवाते थे। पक्षी भी हमारे गुरुधाम में हरे राम हरे कृष्ण, बाहर निकलो कोई आया है… बोलते हैं। मुझे याद है मैं जब उनके पास गया था तो मुझे देखते ही उन्होंने मेरी गुरुमाता अपनी पत्नी से कहा- बालक आया है भूखा है, इसे भोजन दो। इसके बाद उन्होंने मुझे आशीर्वाद देकर कहा था तुम्हारा पंडाल कभी खाली नहीं जाएगा। शुरुआत में मैंने शिव मंदिर में कथा भगवान शिव को ही सुनाना शुरू किया। मैं मंदिर की सफाई करता था। इसके बाद सीहोर में ही पहली बार मंच पर कथावाचक के रूप में शुरुआत की।
एक लोटा जल सभी समस्या का हल
इस शिव महिमा का बखान सुनकर लोगों ने बहुत ही ज्यादा सभी तरह के लाभ अर्जित किये हैं केवल धन की नहीं बल्कि मानसिक शांति और सुरक्षा पाई है । महाराज प्रदीप जी मिश्रा जी ने इस इस युग को कलयुग नहीं बल्कि शिवयुग कहा है ।हमारा मानना यह है की उन्होंने बिलकुल सही कहा है जिस प्रकार भक्तों की मनोकामना जिसे कभी पूरा होने का सोच व्ही नहीं सकते थे आज वह शिव की कृपा से सहज ही पूरा हो रहा है ।इतना सुन्दर शिव को पाने का तरीका लोगों को पंडित जी ने पुराण के अनुसार बताये है की शिव बिलकुल सहज है ,वो इतने भोले हैं की उनको ना ही वस्त्र आभूषण , किसी भी प्रकार का पूजा हवन या किसी भी प्रकार के चढ़ावे की जरुरत नहीं है उसकी कृपा केवल एक लोटा जल से ही पाई जा सकती है ।उसे दिखावा बिलकुल भी पसंद नहीं है इसलिए ही वो भोले हैं । इसनकी सोच मात्र से इस सृष्टि की उत्पत्ति होती है और ये ही इसका विनाश कर सकते हैं दूसरा कोई नहीं।शिव अपने भक्तों से एक लोटा जल मेंही इतना खुश हो जाते हैं की वो मन मांगी मुराद उनकी झोली में डाल देते है,इसका प्रत्यक्ष प्रमाण रहता है की पंडित जी के पुराण प्रवचन पर लोगों द्वारा लिखे गए वे हज़ारों लाखों पत्र जी शिव जी के भक्त पुरे सबूतों के साथ व्यास पीठ तक इन पत्रों को पहुचाते हैं इन पत्रों के द्वारा ही भगवान शिव की कृपा का पता चलता है ।बड़ी बड़ी मनोकामनाएं गंभीर बीमारियाँ ,कठिन समस्या का हल भोले बाबा ऐसे निकाल देते है की लोगों के लिए अकल्पनीय भी साकार रूप में नज़र आ जाता है ।
कथा के प्रथम व द्वितिय दिवस में पंडित जी ने जगतगुरु वल्लाभाचार्य जी के प्रागट्य के बारे में बताया और यह वर्णन प्रस्तुत किया की भोले शिव अवनाशी कैलाशी श्मशानवासी ने कैसे एक मरे हुए पुत्र को जीवित किया उसे कैसे जीवनदान दिया ,कैसे चम्पेश्वर महादेव चंपारण में स्वयम्भू प्रगट हुए।यही नहीं पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने अंधविश्वास को भी नकार दिया। महाराज जी शिव महापुराण में उन सभी समस्याओं को हल करने का शास्त्रोक्त साघन बताते जिसके अनुसार भक्तों की बड़ी से बड़ी समस्या आसानी से हल हो जाती है ।
दिन दुनी रात चौगुनी होती जा रही है शिव भक्तों की भीड़
ये जो कहावत है आपने इसे सिर्फ सूना होगा लेकिन यहाँ पर ये शब्द जैसे की तैसा सही उतरता है । भक्तो की भीड़ पुरे देश से प्रवचन सभा तक आ रही है । आयोजकों ने भक्तों के आने के लिए ई रिक्शा तक की व्यवस्था की है,उनके खाने पिने रहने तक सभी प्रकार की व्यवस्था यहाँ उपलब्ध है । रात भर भक्तों की भीड़ भजन कर अपना भजन कर अपना समय भक्ति में व्यतीत करते हैं ।