तुलसी की 4-5 पत्तियां रोज खाएं, बीमारियां भगाएं : पत्तों के रस से करें घाव को साफ, कान दर्द में 2 बूंद काफी, बुखार में पिएं चाय
बारिश के मौसम में काली यानी श्यामा तुलसी के पत्ते को रोज सुबह खाली पेट खाने से बैक्टीरिया और वायरस के इंफेक्शन की आशंका कम होती है। इस मौसम में मलेरिया से बचने के लिए रोज सुबह तुलसी के 4 से 5 पत्ते चबाकर खाना चाहिए। अगर इसे चबाकर नहीं खाना हो, तो इसे दूध, पानी या चाय में उबालकर पिएं।

इसके पत्तों में जीवाणु और विषाणु से होने वाले संक्रमण को दूर रखने की क्षमता होती है। राम तुलसी (हल्के हरे रंग के पत्तियों वाली तुलसी ) की तुलना में श्यामा तुलसी (गहरे हरे रंग या काले रंग की पत्तियों वाली तुलसी ) को अधिक गुणों वाला माना गया है। काली तुलसी को दवा की तरह लेना फायदेमंद होता है। हार्ट के लिए खास तौर पर फायदेमंद है। इसके अलावा डाइजेशन को सही रखती है। दर्द की तकलीफ को भी दूर करता है।
ऋतुओं के संधिकाल (दो ऋतुओं के बीच के समय ) में सर्दी, खासी, बुखार में काली तुलसी सबसे ज्यादा असरदार पाई गई है। मॉर्डन मेडिसिन में भी तुलसी को एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-मलेरियल प्राेपर्टी वाली मानी गई है। अनेक प्रकार के विटामिन्स के अलावा इसमें पोटाशियम, मैगनीज, मैग्नीशियम, कॉपर और आयरन काफी मात्रा में रहते हैं। यह ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम के लिए अच्छा माना गया है। ये सब तत्व याद रखने की क्षमता को सही करते हैं। फेफड़े की तकलीफ में भी तुलसी को खाने से काफी फायदा होता है। बच्चों की स्मरण शक्ति को बढ़ाना चाहते हैं, तो तुलसी खिलाएं।
बुखार और मलेरिया
मलेरिया का मौसम शुरू होने से पहले रोज सुबह-शाम तुलसी के 5 पत्तों को काली मिर्च के साथ लें, तो इस मौसम में होने वाली बीमारियों से बचे रहेंगे। बुखार होने पर मुंह का स्वाद खराब हो जाता है। हर तरह का खाना बेस्वाद लगने लगता है। ऐसी स्थिति में वॉमिटिंंग जैसा अनुभव होता हो, तो इसके पत्तों को धीरे-धीरे चबाने से फायदा होगा।

बारिश के मौसम में बुखार आ गया हो, तो तुलसी के रस को हल्के गुनगुने पानी के साथ हर दो या तीन घंटे में पिलाने से बुखार कम होगा और उतर जाएगा। फ्लू का बुखार हो गया हो, तो तुलसी और नीम के पत्तों को काली मिर्च के साथ मिक्सकर सुबह-दोपहर-शाम यानी दिन में तीन बार लेना चाहिए। असर तुरंत नजर आएगा।

कफ और सर्दी
बाजार में मौजूद कफ सीरप में तुलसी मौजूद होता है। तुलसी से अस्थमा की प्रॉब्लम में भी राहत मिलती है। सर्दी या कफ के कारण जब फेफड़े तकलीफ देते हैं, तो पानी में तुलसी के पत्तों को उबालकर पीने या चबाने से कफ निकल जाता है। तुलसी के पत्ताें को उबाल कर तैयार किए गए पानी को पीने से फेफड़ों की शक्ति भी बढ़ती है।
यदि किसी मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो या अस्थमा की तकलीफ हो या कोविड की वजह से उसके लंग्स के काम करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ा हो जैसे फेफड़ों को फैलना और सिकुड़ना प्रभावित हुआ हो, तो ऐसे पेशेंट्स को एक-एक चम्मच तुलसी का अर्क और अजवायन के अर्क में 4-4 चम्मच पानी मिलाकर सुबह-दोपहर-शाम-रात (दिन में चार बार) लेने से उनके फेफड़े मजबूत होने लगते हैं। इसके साथ ही ब्लड में ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है।

दर्द और घाव
तुलसी के अंदर एंटी-सेप्टिक गुण पाए जाते हैं। गिरने या चोट लगने की वजह से जख्म बन गया हो और घर में एंटी-सेप्टिक सॉल्यूशन नहीं हो, तो तुलसी का ताजा रस निकालें। इससे घाव को साफ करें। इससे घाव जल्दी से भर जाएगा। कानों के अंदर संक्रमण की वजह से दर्द हो रहा हो, तो दो-दो बूंद तुलसी का रस कानों में डालने से संक्रमण खत्म होगा और दर्द भी चला जाएगा।
तुलसी का ड्रॉप्स डालने से भी फायदा नजर आएगा। शरीर में किसी भी तरह का दर्द हो, तो तुलसी के रस में काली मिर्च के पाउडर को में दो बूंद गाय का घी और चार बूंद शहद मिलाकर देने से दर्द खत्म हो जाएगा। शरीर में किसी तरह का सूजन है, तो तुलसी के पत्तों को चबाने से फायदा होगा।

स्किन डिजीज
सोरायसिस या एग्जिमा जैसी बीमारियों से प्रभावित अंगों पर तुलसी का रस लगाने का अच्छा असर नजर आएगा।त्वचा पर लाल रंग के खुजली वाले चकत्ते हो जाने पर रिंग वर्म जैसे इंफेक्शन होने पर तुलसी का रस लगाने से खुजली खत्म हो जाती है और संक्रमण भी दूर हो जाता है।
सुबह रोज खाली पेट और शाम को सोने से पहले तुलसी के पत्तों को चबाया जाए, तो त्वचा का रंग सुधरेगा और निखार आएगा। जिन लोगों को सुबह या शाम को मुंह से बदबू आती हो और मसूढ़ों से खून निकलता है, तो तुलसी के तेल को लगाएं या फिर तुलसी के रस को थोड़े समय के लिए मुंह में रखें, तो फायदा होगा।
इस बात का भी ध्यान रखें कि तुलसी के रस को मुंह या दांत पर काफी देर तक नहीं रखना चाहिए। तुलसी के पत्तों को एक से दो मिनट ही चबाएं और पानी के साथ निगल लें।शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी को चबाने के बजाय निगलना ज्यादा अच्छा है।मॉर्डन मेडिसिन के अनुसार तुलसी को लंबे समय तक चबाने से दांतों के काला पड़ने की आशंका रहती है।