श्री शिवाय नमस्तुभ्यं ….

शिव पंचायत के 5 सदस्य जो गणेश विष्णु शिव दुर्गा और सूर्यदेव हैं यह पंच भूतों में [पृथ्वी ,जल, वायु ,अग्नि और आकाश ]जाने जाते हैं विराजमान रहते हैं इनकी पूजा समस्त विघ्नों को नाश करने वाली होती है।
हालेकोसा [छुरिया] जिला राजनांदगाव में चल रहे 24 से 30 मार्च तक के कार्यक्रम में शिव पंचायत शिव महापुराण के दौरान सीहोर मध्यप्रदेश के कथावाचक पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी ने कही यह बातें।उन्होंने कहा की क्यों पंचायत शिव महापुराण कथा के दौरान पंडित जी ने कहा कि शंकर यानी शिव को अगर एक लोटा जल समर्पित कर दिया तो समझो कि क्यों ने उसके बदले कुबेर का भंडार उसको दे दिया। बाकी सभी देवताओं के लिए उन्हें मनाने के लिए तरह-तरह की चीजें की व्यवस्था करनी पड़ती है पूजा करनी पड़ती है लेकिन शिव को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ एक लोटा जल ही काफी है।
शिव महापुराण की कथा कहती है कि सिर्फ मंदिर तक चले जाओ तो यह पक्का है की शिव अपनी दया दृष्टि की कृपा अपने भक्तों पर कर ही देगा इसमें किसी को कोई संशय नहीं करना चाहिए उन्होंने कहा कि परिवार वाले समाज वाले के सामने रोने से कोई मतलब नहीं सिर्फ वह अपनी हंसी ही उड़ाते हैं रोना है तो शिव शंकर के सामने रो अगर शिव शंकर के सामने रो दोगे तो शंकर शिव भोले मुस्कुराना अपने आप सिखा देगा ।

माँ शाकम्भरी का वर्णन
कथा के दौरान उन्होंने माता शाकंभरी का वर्णन किया और कहा कि इस शिव पंचायत के चौथे सदस्य के रूप में माता दुर्गा विराजमान रहती हैं जब धरती पर जल का संकट आया था नहीं आकाश से वर्षा हो पा रही थी अब नहीं पाताल से जल धरती को मिल पा रहा था ऐसी स्थिति में पूरी दुनिया में पानी से त्राहि-त्राहि होने लगा खेत सूखने लगे अनाज का संकट आने लगा तभी सब देवताओं ने जाकर भगवान शिव से प्रार्थना की भगवान शिव ने अपने पंचायत के चौथे सदस्य के रूप में माता दुर्गा को इस संकट का निवारण करने को कहा तब माता ने संकट की स्थिति को समझते हुए अपने विशाल मित्रों को हजारों नेतृत्व रूप में बदल दिया और नेत्रों से अभी आशु धारा बहने लगी जिससे फिर से नदी नाले मैं पानी भर गए और खेतों में फसलें आने लगी माता के इस स्वरूप को शाकंभरी देवी के नाम से जाना जाता है।
शिव पंचायत के 5 सदस्य जो गणेश विष्णु शिव दुर्गा और सूर्यदेव हैं यह पंच भूतों में जाने जाते हैं विराजमान रहते हैं इनकी पूजा समस्त विघ्नों को नाश करने वाली इनकी शक्ति होती है। पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने कहां की कचरे की कीमत को समझना मुश्किल है सामान्य घर के कचरे की कोई कीमत नहीं होती लेकिन अगर वह सोनार के घर की कचरा हो तो उसका महत्व बढ़ जाता है इसका उदाहरण उन्होंने मक्खी के रूप में दिया उन्होंने कहा कि मक्खी अगर गुड़ पर या किसी नीचे चीज पर बैठ जाए तो उसकी कीमत कुछ भी नहीं होती लेकिन वही मक्खी अगर सुनार के घर सोना खोलते समय अगर सोने पर बैठ जाए तो वह गिनती हो जाती है इसी प्रकार गलत जगह हमारी कोई कीमत नहीं होती लेकिन जब हम भगवान शिव की शरण में जाते हैं तो हमारे कीमत बढ़ जाती है संसार में लगे रहने से कोई कीमत नहीं रहती अच्छी जगह बैठोगे भगवान की कीर्तन में लगोगे तो भोलेनाथ हमारा कीमत ऐसे ही बढ़ा देगा।
महाराज जी ने आगे कथा के दौरान बताया कि जब तुम रुका जी भगवान शिव से बोले की है भोलेनाथ जब सब लोग कैलाश नहीं जा पाएंगे तो क्या होगा कृपया इसके बारे में बताएं तब भगवान शिव ने कहा कि जो भी शिव कथा में आएंगे उन्हें कैलाश जाने का फल मिलेगा जहां कथा चल रही होती है वह जगह कैलाश पर्वत हो जाता है। शिवलिंग के बारे में उन्होंने बताया की सर्वप्रथम शिवलिंग का निर्माण ब्रह्मा और विष्णु ने मिलकर किया आगे उन्होंने बताया कि विष्णु और ब्रह्मा की आराधना तो मानव और देव ही करते हैं लेकिन भगवान शंकर की आराधना मानव देव के साथ दाना भी करते है राम और रावण में उन्होंने अंतर बताते हुए कहा कि राम को अहंकार का ज्ञान था लेकिन रावण को अपने ज्ञान का अहंकार था इसी कारण जीत राम की हुई और रावण विनाश को प्राप्त हुए ।