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दीदी के हाथ में है शहर स्वच्छता की चाबी

  • कचरा वाली से बन गई शहर की हर घर की स्वच्छता दीदी, पहले लोग उन्हें कचरा वाली बाई कहकर पुकारते थे,अब उन्हें दीदी कहकर बुलाते है:

  • धूप,बारिश या फिर हो कड़ाके की ठंड, हर मौसम में स्वच्छता दीदियों शहर को स्वच्छ रखने को तैयार:

  • इनकी दुर्ग वासी से एक ही अपील गीला सुखा अलग अलग दें

दुर्ग। 4 जनवरी, नगर पालिक निगम,शहर विधायक अरुण वोरा,महापौर धीरज बाकलीवाल एवं आयुक्त हरेश मंडावी ने स्वच्छ्ता दीदियों के कार्य की जमकर तारीफ की उनसे ही दुर्ग शहर स्वच्छ शहर के स्वच्छ्ता के नक्शे पर दुर्ग को पूरे देश मे उच्च स्थान दिलाने वाली स्वच्छ्ता दीदी धूप,बारिश हो या फिर कड़ाके की ठंड,में स्वच्छता दीदियों के कभी नहीं रूकते पैर निरंतर कड़ी मेहनत से घर-घर कचरा कलेक्शन कर शहर का नाम पूरे देश में रोशन कर रहीं स्वच्छता दीदियां आज महिला सशक्तिकरण की मजबूत पहचान बन चुकीं हैं। धूप, बारिश या फिर हो कड़ाके की ठंड,नहीं रूकते स्वच्छता दीदियों के कदम, इनके काम को हर कोई करता है तारीफ,शहर को ये मुकाम हासिल करने में इन्हीं महिलाओं का हाथ है जो निरंतर कर्तव्य पथ पर अग्रसर हैं। इन्हें शहर के लोग आज स्वच्छता दीदियों के नाम से जानते हैं, ये वहीं महिलाएं हैं जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है।एक समय में ऐसी पारिवारिक परिस्थितयां व उलाहना झेली है, जिसमें महिलाओं को भेदभाव की नजरों से देखा जाता है। शुरू में घर-घर कचरा उठाने के काम को करने के दौरान भी इन्हें हिचक व अनजाने भय की परिस्थिति का सामना करना पड़ा, लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी।
कहते हैं न, जीवन में अगर कुछ कर गुजरने का ठान लिया तो फिर बड़ी से बड़ी बाधा भी लक्ष्य के सामने छोटी हो जाती है। आज ये स्वच्छता दीदियां महिला सशक्तिकरण की मजबूत पहचान बन चुकीं हैं।स्वच्छता के लिए बनीं प्रेरणा स्वच्छता के लिए महिलाएं लोगों की प्रेरणा बन गईं हैं। स्वच्छता दीदियों से प्रत्येक शहरवासी को अपने घर व आसपास को साफ-सुथरा रखने की सीख मिलती है। साथ ही लोगों को नीले व हरे डिब्बे में गीला व सूखा कचरा डालने की आदत भी इन्होंने ही डाली है।कठिन परिश्रमकिसी के घर का कचरा उठाना इतना आसान काम नहीं है, लेकिन स्वच्छता दीदियां तो पूरे शहर का कचरा उठाकर एसएलआरएम सेंटरों में ले जा रहीं हैं। इनके कदम कभी नहीं थकते। धूप, बारिश हो गया फिर ठंड, हर दिन नियमित रूप से घर-घर जाकर ये कचरा उठाती हैं।
स्वच्छता दीदियों द्वारा नगर के समस्त 60 वार्डों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण एवं उसका उचित निपटान किया जाता है। इन स्वच्छता दीदियों के कार्य की बदौलत नगर पालिक निगम दुर्ग में यूजर्स चार्ज के रूप में कचरे के विक्रय कर आय प्राप्त कर रही है। इनकी बदौलत शहर को मिले अवार्ड,मिला सम्मान इनके काम को हर कोई करता है सलाम महिला सशक्तिकरण की मजबूत पहचान बन चुकीं हैं स्वच्छता दीदियां, घर-घर कचरा कलेक्शन कर स्वच्छता दूत बन गईं हैं, स्वच्छ्ता दिदोय इनकी ही बदौलत स्वच्छता में दुर्ग शहर का नाम पूरे देश में बज रहा डंका।महापौर धीरज बाकलीवाल और आयुक्त हरेश मंडावी ने स्वच्छ्ता दीदियों के कार्य की जमकर तारीफ की।
शहर की महिलाओं ने कर दिखाया है ऐसा कमाल, जिन्हें लोग अब स्वच्छता दीदियां कहते हैं। दरअसल, ये स्वच्छता दीदियां न सिर्फ कचरे के निस्तारण कर रही हैं, बल्कि एक साल में कचरे के निस्तारण और यूजर चार्ज से रुपये भी कमा रही हैं।
शहर की सूरत बदल दी है। वहां की स्वच्छता दीदीया कचरे का निस्तारण कर मोहल्ले कालोनी की सड़कों, गलियों और चौक-चौराहों को स्वच्छ रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।खुले में शौचमुक्त,शहर प्लास्टिक एवं कूड़ा-करकट मुक्त स्लम एरिया भी बन गया है। इस अभियान को स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अतिरिक्त कमाई का जरिया बनाया है।ऐसे बन गई स्वच्छता दीदी वैसे कचरा संकलन तथा उसे अलग-अलग कर निस्तारित करने का काम इन महिलाओं के लिए सहज-सरल नहीं था। शुरुआत में जब वे रिक्शा लेकर कचरा संकलन के लिए घर-घर जाती थीं, तो लोग उन्हें ऐसे देखते थे जैसे वे कोई खराब काम कर रही हों।इनके काम से शहर के मोहल्ले,कालोनी में लगातार साफ-सुथरा होते गया, तो लोगों का नजरिया भी बदलने लगा। अब शहर वाले इन्हें सम्मान के साथ ‘स्वच्छता दीदी,कहकर पुकारते हैं।

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कचरा अपशिष्ठ को अलग-अलग करती हैं

स्व सहायता समूह की महिलाएं सफाई मित्र के रूप में घर-घर जाकर कचरा संकलित करती हैं। सेग्रीगेशन शेड यानि ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन केन्द्र में वे संकलित कचरा में से उनकी प्रकृति के हिसाब से उन्हें अलग-अलग करती हैं। कूड़े-कचरे के रूप में प्राप्त पॉलीथिन,खाद्य सामग्रियों के पैकिंग रैपर, प्लास्टिक के सामान, लोहे का कबाड़ एवं कांच जैसे ठोस अपशिष्टों को अलग-अलग करने के बाद बेच दिया जाता है।