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रावण को लोगों ने पत्थर मारकर किया धाराशाही , पुलिस ने गोलियों से भूना !

राजस्थान के मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्णधाम राजसमंद जिले के चारभुजानाथ में दशहरे पर रावण और मेघनाथ का वध करने की अनूठी परंपरा है| ये परंपरा पांच हजार साल पुरानी बताई जाती है|

राजसमंद| राजस्थान की धर्म नगरी राजसमंदजिले के चारभुजा कस्बे में दशहरा के दिन एक खास एनकाउंटर हुआ| यहां इस बार भी रावण को परंपरागत रूप से जलाया नहीं गया| बल्कि पुलिस की गोलियों से छलनी किया गया और पत्थरों से मार मार कर धराशाई किया गया|

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ग्रामीणों ने सालों से चली आ रही इस परंपरा को इस बार भी निभाया| मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्णधाम राजसमंद जिले के चारभुजानाथ में बीते शुक्रवार को दशहरे पर रावण और मेघनाथ का वध करने की अनूठी परंपरा निभाई| कस्बे के बाहर जवाहर सागर मैदान में पत्थर से रावण का पुतला बनाकर इसे बंदूक की गोली से दागने की परंपरा का निर्वाह किया|

सरगरा समाज के लोगों ने रावण के इस पुतले को तैयार किया| मटकी के आकार का पेट बनाकर इसमें रंग भरा| चारभुजानाथ की कसार आरती के बाद मंदिर से पुजारी बल्लम, तलवार, निशान थाने देवस्थान विभाग के सिपाहियों के साथ परंपरा निभाने पहुंचे| शाम को जवाहर सागर मैदान पर बंदूक की पहली ही गोली रावण के पेट में लगी, इससे रावण का पेट फूट गया| इसके बाद बंदूकों की गोलियों से रावण के हाथ सिर को भी छलनी किया गया. बाद में लोगों ने पुतले को पत्थर मारे| स्थानीय निवासी मनीष दवे ने बताया कि वध करने की यह परंपरा साढ़े पांच हजार साल पुरानी है| चारभुजानाथ की स्थापना पांडवों ने वनवास के समय की थी, तभी से रावण के वध की यही परंपरा निभाई जा रही है|

जालम सिंह की गोली ने तोड़े हाथ
राम द्वारा अखाड़े से शोभायात्रा में जवाहर सागर मैदान की ओर प्रस्थान किया| ग्रामीणों की मैदान पर काफी भीड़ थी. राम की प्रतिमा को एक ऊंचे आसन पर विराजमान करवाया| इसके साथ देवस्थान के सिपाहियों द्वारा रावण के पुतले पर गोलियां दागना प्रारंभ किया\ तीन राउंड गोलियों के बाद सिपाही जालम सिंह की गोली से रावण का हाथ तोड़ा गया| बाद में सिपाही शैतानसिंह की गोली से रावण का पेट फोड़ा गया| सिपाहियों ने इसके बाद दनादन गोलियों की बौछार से रावण को छलनी किया. इसके बाद बालकों की टोली ने पत्थर मार मार कर रावण को मौत के घाट उतार दिया| ग्रामीणों ने राम के जयकारे लगाए. राम की विजय यात्रा के साथ राम की प्रतिमा को रामद्वारा लाकर पुनः गर्भग्रह में प्रतिस्थापित किया| भगवान राम की आरती उतारी गई, प्रसाद वितरण पुजारी गणेश लाल ब गडवाल के द्वारा किया गया|