सुभाष नगर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के छात्र राजन को कबाड़ से चीजें बनाने का शोक है. राजन ने सबसे पहले लॉकडाउन में ई-साइकिल पर प्रयोग शुरू किया, जो सफल नहीं रहा.
नई दिल्ली| कुछ खास करने की लगन और कुछ अलग करने का अहसास हमेशा ये तय कराता है कि कुछ लोग सबसे अलग होते हैं. यही लोग कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसकी शायद कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है. ऐसा ही एक कारनामा किया है दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ना वाला नौवीं कक्षा के एक छात्र ने. इस छात्र ने कबाड़ के कलपुर्जों के साथ कलाकारी कर E-बुलेट (E-Bullet) बना डाली. महज 15 साल की उम्र में उसने यह कमाल कर सभी को हैरान कर दिया है. करीब 45 हजार रुपये खर्च कर छात्र ने रॉयल इनफील्ड बाइक को ई-बाइक में बदला है, जो एक बार चार्ज करने पर 100 किलोमीटर तक चलेगी.


सुभाष नगर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के छात्र राजन को कबाड़ से चीजें बनाने का शोक है. राजन ने सबसे पहले लॉकडाउन में ई-साइकिल पर प्रयोग शुरू किया, जो सफल नहीं रहा. तब राजन के पिता दशरथ शर्मा ने उसे डांटकर ऐसा करने से मना कर दिया. कुछ दिन के लिए राजन ने ई-बाइक बनाने की रुचि को मन में दबा दिया. फिर उन्होंने घर में झूठ बोला कि उन्हें स्कूल से ई-बाइक बनाने का प्रोजेक्ट मिला है. पिता परेशान हो गये है कि आखिर E- BIKE के इस प्रोजेक्ट को कैसे पूरा कराया जाए. इसके लिए कहां से पैसे लाये जाएं. इस टेंशन में पहले तो उन्होंने राजन को इस प्रोजेक्ट पर काम करने से मना कर दिया. पर बेटे की जिद के आगे दशरथ शर्मा को झुकना ही पड़ा. दशरथ शर्मा निजी कंपनी में नौकरी करते हैं और उनकी ज्यादा कमाई भी नहीं है.