कक्षा 7 में पढ़ते हुए गांव-घर के 90 बच्चों को दे रही तालीम
रांची| झारखंड के खूंटी जिले के गांव लोधमा की निवासी दीपिका मिंज की पाठशाला इन दिनों चर्चा में है. 12 साल की दीपिका मैडम की पाठशाला में हर दिन करीब 90 छात्र हजारी लगा रहे है. बड़ा सोचने वाली दीपिका मिंज की बड़ा सोचने की शुरुआत कोरोना संक्रमण काल से शुरू होती है. सरकार के द्वारा स्कूल बंद करने के आदेश के बाद दूसरे बच्चों की तरह ही दीपिका भी शिक्षा से दूर होती चली गई. उसे अपना पाठ्यक्रम भी याद नहीं था, तब उसने सोचा की ऐसा दूसरे बच्चों के साथ भी हो सकता है. पड़ताल के लिये गांव में खेलते बच्चों से कुछ सवाल दीपिका ने पूछे. बच्चों के पास उसका जवाब नहीं था और यही से शुरू हुई दीपिका की पाठशाला.


IAS अधिकारी बनना दीपिका का सपना
दीपिका ने शिक्षा का दीप जलाने की शुरुआत सिर्फ दो बच्चों से की. धीरे-धीरे कारवां बढ़ता चला गया. बच्चों की संख्या बढ़ता देख दीपिका ने ग्राम सभा से मदद मांगी. मदद में उसे ग्राम सभा से बच्चों को पढ़ाने के लिये दो दीदी और प्रतिज्ञा नामक NGO से कुछ शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई गई. आज दीपिका की पाठशाला में करीब 90 छात्र हर दिन शिक्षा का पाठ पढ़ रहे है. खुद दीपिका आगे चलकर IAS अधिकारी बनना चाहती है, ताकि जनता की सेवा कर सके.
दीपिका मैडम क्लास लेना कभी नहीं भूलतीं
दीपिका मिंज इस वक्त कक्षा 7 की छात्रा है. उसकी सीनियर दीदी पढ़ाने का काम करती है. वो खुद दूसरे बच्चों की तरह उनके साथ बैठ कर अपना सबक पूरा करती है. दीपिका को पढ़ाने वाली सीनियर लिली और दिव्या का मानना है कि एक बार किसी भी पाठ को पढ़ाने के बाद वो नहीं भूलती. दूसरे बच्चों की तुलना में किसी बात ठीक ढंग से समझना और फिर दूसरे बच्चों को समझाने की प्रतिभा दीपिका में कूट-कूट कर भरी है. दीपिका से शिक्षा लेने वाली नीलिमा सहित दूसरे बच्चों को भी दीपिका मैडम की कक्षा में शामिल होना बहुत अच्छा लगता है. शायद इसलिए की वो अलग अंदाज में बच्चों को पढ़ाती है. दीपिका ने अपने गांव-घर के लिये ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड के लिये एक आदर्श पेश किया है. आज दीपिका की सोच का ही नतीजा है कि किताबों से दूर हो रहे बच्चों रोजाना शिक्षा का नया पाठ पढ़ रहे है.