सात सालों में बिजली दुगुनी खर्च करने वाला राज्य

एक समय बिजली की किल्लत झेल रहे बिहारवासियों को अब भरपूर बिजली मिल रही है। आलम यह है कि चार-पांच साल पहले जितनी बिजली की खपत गर्मी के दिनों में होती थी, अभी उतनी सर्दी के मौसम में हो रही है। यही कारण ही महज छह-सात वर्षों के भीतर ही बिहार में बिजली की खपत में दोगुने से अधिक की वृद्धि हो गई है। साल 2012-13 में बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली खपत मात्र 145 यूनिट थी। छह साल बाद 2018-19 में यह दोगुनी से अधिक 345 यूनिट तक पहुंच गई। मौजूदा समय में बिजली की खपत 400 यूनिट प्रति व्यक्ति तक आ पहुंची है। दरअसल बिजली की खपत में वृद्धि का मूल कारण घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि होना है। समय से पहले हर गांव में बिजली पहुंचाने का रिकॉर्ड बिहार ने बनाया। बिहार की ओर से शुरू हर घर कनेक्शन योजना के तहत 35 लाख से अधिक बिजली कनेक्शन दिए गए। इसी योजना को पूरे देश ने सौभाग्य योजना के नाम से अपनाया।
घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि
हर घर बिजली कनेक्शन के कारण घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि हुई। साल 2015 में बिहार में 55 लाख से अधिक उपभोक्ता थे, जो 2019 में बढ़कर एक करोड़ 45 लाख हो गए। जबकि मौजूदा समय में उपभोक्ताओं की संख्या एक करोड़ 62 लाख को पार कर चुकी है। बिहार के कुल उपभोक्ताओं में सबसे अधिक घरेलू ही हैं। यहां लगभग 80 फीसदी उपभोक्ता केवल घरेलू श्रेणी के हैं। यही कारण है कि कोरोना काल में जब देशव्यापी लॉकडाउन हुआ तो देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में बिजली की खपत लगभग उतनी ही बनी रही जितनी आम दिनों में होती है। इंजीनियरों के अनुसार लॉकडाउन में भी बिहार में बिजली खपत में 500-700 मेगावाट का ही अंतर आया, जबकि बाजार व उद्योग सभी बंद थे।

शनिवार को पांच हजार मेगावाट से अधिक बिजली दी गई
वर्षवार बिजली की उपलब्धता को देखें तो साल 2012-13 में अधिकतम 1802 मेगावाट बिजली दी गई तो 2018-19 में 5139 मेगावाट। 17 जुलाई 2020 को कंपनी 5932 मेगावाट रिकॉर्ड बिजली दे चुकी है जो अब तक का रिकॉर्ड है। वहीं, शनिवार यानी 30 जनवरी, 2021 की बात करें तो पांच हजार मेगावाट से अधिक बिजली देर शाम दी गई।
बाज़ार से खरीद कर की जा रही आपूर्ति
मांग के अनुसार साल 2012-13 में बिहार में 848 मेगावाट बिजली की कमी रहती थी। जबकि 2018-19 में मात्र 161 मेगावाट की ही कमी रह गई। वहीं मौजूदा समय में बिजली की कोई कमी नहीं है। सरकार केंद्रीय पूल के अलावा बाजार से खरीदकर लोगों को भरपूर बिजली दे रही है। इसके लिए हर रोज जरूरत के अनुसार 1200 से लेकर 1900 मेगावाट तक बाजार से बिजली खरीद रही है।बिजली खपत करने में पटना अव्वल है। केवल पटना में ही 700 मेगावाट से अधिक बिजली खपत होती है। पटना के बाद गया और नालंदा में अधिक बिजली खपत होती है। जबकि, शिवहर, अरवल और शेखपुरा में सबसे कम बिजली खपत होती है।