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महाकुंभ: सोने-चांदी के सिंहासनों पर बैठ शाही स्नान के लिए निकले संत, हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा

हरिद्वार |महाकुंभ में मेष संक्रांति (बैशाखी) के शाही स्नान पर अखाड़ों के संत रथनुमा वाहनों पर सोने और चांदी के सिंहासनों पर राजसी वैभव के साथ विराजमान होकर हरकी पैड़ी के पास सीसीआर की पार्किंग तक पहुंचे। अखाड़ों के जुलूस में कोरोना से बचाव के नियम भी तार-तार होते दिखे। वहीं, शाम छह बजे तक करीब 13 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया।

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सबसे आगे अखाड़ों की अपनी-अपनी धर्म ध्वजाएं, ईष्टदेव और पंच परमेश्वर अगुवाई कर रहे थे। इसके बाद अखाड़ों के नागा संन्यासियों का पैदल हुजूम और आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और महंत रथों पर सवार थे। उनको देखने के लिए निर्धारित रूटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। श्रद्धालुओं ने संतों पर फूल बरसाकर आशीर्वाद लिया। सरकार की ओर से शंकराचार्य चौक के पास संतों की शोभायात्राओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराई।

हरकी पैड़ी को छोड़कर अन्य गंगा घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही। नाईसोता, पंतद्वीप, सुभाषघाट, शिव घाट, बिरला घाट, अलकनंदा घाट, गोविंद घाट और प्रेम नगर घाटों पर देर शाम तक श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान अब 27 अप्रैल (चैत्र पूर्णिमा) को होगा। हालांकि, इससे पहले 21 अप्रैल को राम नवमी का पर्व स्नान है।