टाइप-2 डायबिटीज मरीज का किडनी और पैंक्रियाज का सफल ट्रांसप्लांट
चंडीगढ़ |टाइप-2 डायबिटिक और किडनी फेलियर पेशेंट का पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट करने वाला पीजीआई देश का पहला मेडिकल इंस्टीट्यूट बन गया है। पीजीआई के रीनल ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट, इंडोक्रायनोलाॅजी डिपार्टमेंट और एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट की टीम ने 21 मार्च को आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियर अजय शर्मा का ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचा है। इस ट्रांसप्लांट से पीजीआई ने देश के अन्य मेडिकल इंस्टीट्यूट्स को टाइप-2 डायबिटीज पेशेंट के लिए डायबिटीज से छुटकारे को नई दिशा देने में सफलता हासिल की है।

आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियर अजय शर्मा पिछले 10 साल से डायबिटीज के पेशेंट थे। 2018 में उनकी किडनी फेल हो गई थी। उनका किडनी का पीजीआई में इलाज चल रहा था। साथ ही अजय शर्मा ने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उसी समय रजिस्ट्रेशन करवा रखा था। वे रोजाना 40 यूनिट इंसुलिन और ओरल दवाएं ले रहे थे। साथ ही किडनी फेलियर की दवाएं चल रही थीं। वे तीन साल से डायलिसिस पर थे।
रीनल ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. अशीष शर्मा बताते हैं कि 20 मार्च को कैथल से एक 12 साल का बच्चा आया, जिसे हादसे में गंभीर चोटें आई थीं। उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन 40 रह गया था। बीपी बढ़ गया था। ब्रेन डेड हो गया था। शाम को उसके पेरेंट्स ने ऑर्गन डोनेशन के लिए सहमति दी। उसका ब्लड ग्रुप रुड़की के अजय शर्मा से मेल खा रहा था।
उसी रात बच्चे की तबीयत बिगड़ गई। फिर लगा कि अगर उसके हार्ट ने ही काम करना बंद कर दिया तो उसकी बॉडी का कोई भी ऑर्गन काम के लायक नहीं रहेगा। प्रो. अशीष बताते हैं कि रात 10 बजे वे पीजीआई आए, तब तक ऑक्सीजन सेचुरेशन 100 के आसपास पहुंच गया था। बीपी भी नॉर्मल हो गया था। बच्चे की किडनी निकाली गई और पेंक्रियाज निकाला गया।
रेसिपिएंट अजय शर्मा को 20 की रात को ही कॉल करके बुला लिया गया। रात में ही क्रॉस मैचिंग की गई। मरीज अजय शर्मा का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाना था। लेकिन मैंने उन्हें सलाह दी कि किडनी ट्रांसप्लांट तो हो जाएगा, लेकिन उसके बावजूद डायबिटीज रही तो किडनी कुछ समय के बाद फिर डैमेज हो सकती है।
मरीज को सलाह दी कि किडनी ट्रांसप्लांट के साथ पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट भी करवा लें। मरीज ने तुरंत हामी भर दी। अगले दिन 21 मार्च की सुबह ट्रांसप्लांट शुरू हुआ। करीब 40 डॉक्टर पैरामेडिकल स्टाफ ने 12 घंटे लगातार चले ऑपरेशन के बाद टाइप-2 डायबिटीज के मरीज को किडनी और पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट कर दिया। ट्रांसप्लांट को करीब 23 दिन बीत चुके हैं। मरीज 10 दिन पहले छुट्टी कर दी गई है और अव वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
पीजीआई में नववर्ष मनाया गया…
पीजीआई में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नववर्ष उत्सव कार्यक्रम कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए आयोजित करवाया गया। कार्यक्रम में संस्थान की सभी एसोसिएशन ने एकत्रित होकर सक्रिय भाग लिया और सब ने हर्ष उल्लास से नववर्ष मनाया|विक्रम संवत महाराज विक्रमादित्य द्वारा प्रारंभ किया गया था और ऐसी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही परमपिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ विनय सोफत ने भारतीय संस्कृति एवं नववर्ष की महत्व बताया।

ऑपरेशन करने वाली टीम
- 5 कंसल्टेंट
- 9 सीनियर रेजिडेंट्स
- 6 एनेस्थीशियन
- 4 जूनियर रेजिडेंट्स
- 4 नर्सिंग ऑफिसर
- 3. हॉस्पिटल और सेनिटेशन अटेंडेंट
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट सर्जरी क्या होती है?
इसमें एक मृत डोनर से स्वस्थ पैंक्रियाज को उस व्यक्ति में लगाया जाता है, जिसका पैंक्रियाज ठीक रूप से काम नहीं करता। पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के द्वारा डायबिटीज से पीड़ित लोगों के शरीर में इंसुलिन बनाने और शुगर लेवल को सामान्य किया जा सकता है।
इस ट्रांसप्लांट की सलाह इसलिए दी जाती है
- टाइप-1 डायबटिज से पीड़ित मरीज
- बार-बार इंसलिन रिएक्शन होने पर
- ब्लड शुगर लेवल का खराब होना
- किडनी का खराब होना
- पैंक्रियाज कैंसर का होना
ट्रांसप्लांट के बाद मेरा जीवन सामान्य हो गया: अजय शर्मा
इंजीनियर अजय ने कहा कि मैं डायबिटीज होने से काफी परेशान था। इसके कुछ साल बाद मेरी किडनी भी फेल हो गई। 2018 में मैं पीजीआई में किडनी का इलाज करवाने के लिए आया। यहां पर मैंने ट्रांसप्लांट के लिए रजिस्ट्रेशन करवा दिया। 20 मार्च की शाम को मुझे पीजीआई से फोन आया कि आपकी किडनी ट्रांस्पलांट के लिए डोनर का इंतजाम हो गया है।
आप तत्काल पीजीआई आ जाएं। रुड़की से चंडीगढ़ आने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। मैं रात को ही पीजीआई आ गया। अगले दिन सुबह 10 बजे ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया और रात 10 बजे तक मेरा ऑपरेशन चला। अब मैं बिल्कुल ठीक हूं।