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केरल के अधिकारियों ने रिश्‍वत लेने के लिए ‘फर्जी ’ कंपनियां बनाई

नई दिल्ली. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने उच्चतम न्यायालय  से कहा है कि केरल सरकार की लाइफ मिशन परियोजना के अधिकारियों ने दो ‘छद्म’ कंपनियों के मार्फत विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिएसंयुक्त अरब अमीरात (UAE) महावाणिज्य दूतावास के अधिकारियों के साथ सांठ गांठ की थी. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि साक्ष्य से यह खुलासा होता है कि मेसर्स यूनीटेक और साने वेंचर्स लाइफ मिशन की दो ‘छद्म’ फर्म हैं, जिनका इस्तेमाल यूएई से विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए किया गया. ऐसा करने के पीछे यह उद्देश्य था कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ऑडिट, सरकारी औपचारिकताओं और विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) से बचा जाए, ताकि रिश्वत प्राप्त हो सके.

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सीबीआई ने कहा कि दोनों ही कंपनियों ने एक विदेशी स्रोत से और लाइफ मिशन की ओर से चंदा प्राप्त किया और इस रकम का इस्तेमाल रिश्वत अदा करने में और सरकारी अधिकारियों और लाइफ मिशन के कर्मचारियों को महंगे तोहफे देने में किया गया. केरल सरकार की लाइफ मिशन परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में सीबीआई ने यह दलील दी. याचिका के जरिए केरल उच्च न्यायालय के 12 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत राज्य में बाढ़ पीड़ितों के लिए भवनों और एक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोपों की केंद्रीय एजेंसी से जांच की अनुमति दी गई थी.

राज्य के विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सोना तस्करी मामले में मुख्य आरोपियों में शामिल स्वप्ना सुरेश ने एनआईए की अदालत में यह स्वीकार किया है कि उसने परियोजना से कमीशन के तौर पर एक करोड़ रुपये प्राप्त किये थे.