(दबंग प्रहरी समाचार ) जगदलपुर। नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में वन सेवा अधिकारियों द्वारा शासकीय नियमों की धज्जियां उड़ाने का एक ताजा मामला सामने आया है। यह मामला सरकार की फ्लैगशिप स्कीम तेंदूपत्ता बोनस राशि से जुड़ा हुआ है, जहां अधिकारियों की मिलीभगत के चलते तेंदूपत्ता संग्रहकर्ताओं को उनके हक के 6 करोड़ रुपए नहीं मिले। बस्तर वन वृत्त के अंतर्गत सुकमा जिले में इस घोटाले का खुलासा हुआ है, जो प्रदेश का सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि (बोनस) के भुगतान में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। जांच में यह सामने आया कि तेंदूपत्ता प्रबंधकों ने बोनस की करीब 6 करोड़ रुपए की राशि खातों से निकाल ली और शासन को वितरण की जानकारी भेज दी, जबकि तेंदूपत्ता संग्रहकर्ताओं को एक भी रुपया नहीं मिला। इस घोटाले में डीएफओ अशोक पटेल की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। प्रारंभिक जांच में ही स्पष्ट हो गया कि इतनी बड़ी वित्तीय अनियमितता बिना वनमंडल अधिकारी की मिलीभगत के संभव नहीं थी। शासन ने अखिल भारतीय सेवा नियम 2013 के तहत डीएफओ सुकमा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

