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पिच की किच-किच से जीत हुई बेस्वाद
अयाज़ मेमन कहते हैं कि “मैच के दूसरे दिन एक ही पारी में भारत के सात विकेट गिरना हैरान करता है, और उससे भी अधिक हैरान करता है जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड और जोफ्रा आर्चर के होते हुए जो रूट का पांच विकेट लेना.”अयाज़ मेमन यह भी कहते हैं कि अगर इंग्लैंड पहली पारी में दो सौ रन बना लेता तो कहानी कुछ और भी हो सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.अब यह भी नहीं है कि ऐसे विकेट पर केवल इंग्लैंड के जो रूट और बेन स्टोक्स जैसे बल्लेबाज़ परेशान हुए जो शायद कुछ आक्रमक बल्लेबाज़ी भी कर सकते थे बल्कि भारत के विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा भी कम परेशान नहीं हुए. चेतेश्वर पुजारा का तो पहली पारी में खाता भी नहीं खुला.

‘सिर्फ जीत के लिए पिच बनाना ठीक नहीं’
एक ऐसा विकेट जिस पर स्पिनर को बस सीधी गेंद करनी हो क्या टेस्ट मैच के लिए ठीक है?इस सवाल के जवाब में अयाज़ मेमन कहते हैं, “सिर्फ़ रिकार्ड बनाने या जीतने के लिए ऐसी पिच बनाना ठीक नहीं है. दर्शक भी बेहतरीन क्रिकेट देखने के लिए मैदान में आते है. ऐसे विकेट पर तो बल्लेबाज़ को समझ ही नहीं आता कि वह आगे खेले या पीछे खेले.”

“इस विकेट को देखकर तो ऐडिलेड टेस्ट की याद आ गई जहां भारत 36 रनों पर सिमट गया था. अहमदाबाद जैसा विकेट तो ख़राब है ही साथ ही वह विकेट भी ख़राब है जिसे पाटा विकेट कहा जाता है जहॉ गेंदबाज़ों को कोई मदद नहीं मिलती और बल्लेबाज़ आसानी से रन बनाते रहते है. टेस्ट क्रिकेट में ऐसे विकेट होने चाहिए जो बल्लेबाज़ और गेंदबाज़ दोनों की मदद करे.”

वैसे इस टेस्ट मैच से पहले रोहित शर्मा ने कहा था कि भारत ने कभी भी इस बात की शिकायत नहीं की कि उसे विदेश में ग्रीन विकेट मिलते है.रोहित शर्मा ने कहा कि बस खेल की बात होनी चाहिए. अब रोहित शर्मा ही बताएँ कि अहमदाबाद में किस खेल की बात की जाए.क्या ये बात की जाए कि अक्षर पटेल ने कमाल की गेंदबाज़ी करते हुए पहली पारी में छह विकेट लिए.

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जब इंग्लैंड टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी कर रहा था तब भारत के पूर्व कप्तान सुनील गॉवस्कर और पूर्व बल्लेबाज़ वीवीएस लक्ष्मण कह रहे थे कि इंग्लैंड के बल्लेबाज़ चेन्नई में हारने के बाद स्पिनर को बैकफ़ुट पर खेलने की रणनीति बनाकर खेल रहे थे.उनका कहना सही भी हो लेकिन उन्होंने भी खुले दिल से इस बात को माना कि इंग्लैंड रक्षात्मक खेला पर विकेट भी कुछ ऐसा था जिस पर गेंदबाज़ों ख़ासकर स्पिनर को गेंद बस सीधी फेंकनी थी.

जिस विकेट पर इंग्लैंड के जो रूट, जॉनी बेयरस्टो और बेन स्टोक्स के अलावा भारत के बल्लेबाज़ भी अनाड़ी जैसे नज़र आए, हर गेंद पर विकेट गिरने का ख़तरा हो वहां ऑस्ट्रेलिया भारत जैसी सिरीज़ के मायने को लेकर अयाज़ मेमन कहते हैं कि वैसी पिचों पर किया गया संघर्ष सही मायने में क्रिकेट है.वो कहते हैं, “वैसी क्रिकेट से टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता बेहद बढ़ी थी. आख़िरी गेंद तक लोगों की धड़कनें बढ़ी रही.
अहमदाबाद में दो दिन में ही भारत की जीत पर पूर्व चयनकर्ता और बल्लेबाज़ अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि इससे भले ही भारतीय टीम गर्व महसूस करें लेकिन यह बात मन में खटास भी पैदा करती है.

अशोक मल्होत्रा कहते हैं “आज भारत की टीम प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की टीम है ना कि सत्तर के दशक की कमज़ोर टीम. जीत के लिए ऐसे विकेट पहले बनाए जाते थे जिसकी अब ज़रूरत नहीं है, फिर दर्शक भी पांच दिन की क्रिकेट देखने के लिए पैसे देकर टिकट ख़रीदता है. ऐसे अखाड़े विकेट का क्या फ़ायदा जिस पर बल्लेबाज़ दो दिन भी ना खेल सके.”

अशोक मल्होत्रा ऐसे विकेट पर गेंदबाज़ों को भी थोड़ा श्रेय देते हुए कहते हैं कि भारतीय गेंदबाज़ों ने सही टिप्पे पर गेंद की जो आसान नहीं है लेकिन ऐसी विकेट के परिणाम दिल को ख़ुश नहीं करते.वो कहते हैं कि अगला मैच भी ऐसे ही विकेट पर होने वाला है. वो इंग्लैंड की बल्लेबाज़ी को लेकर अयाज़ मेमन की तरह मानते हैं कि अगर उन्होंने पहली पारी में दो सौ पचास या दो सौ सत्तर रन बनाए होते तो भारत हार भी सकता था.
अशोक मल्होत्रा इंग्लैंड के पहली पारी में सस्ते में निपटने से अधिक भारत के भी पहली पारी में केवल 145 रन पर ढहने से हैरान है.

अशोक मल्होत्रा इससे भी आगे एक बड़ी बात कहते हैं कि टेस्ट क्रिकेट की गिरती लोकप्रियता के बीच पिंक बॉल डे-नाइट टेस्ट मैच की बात करने वाले लोगों के क्या मायने रह जाते हैं जब मैच दो दिन में ही समाप्त हो जाए.जो भी हो पिच की किच-किच ने भारत की जीत का स्वाद बेस्वाद कर दिया है.अहमदाबाद की विकेट की उड़ती धूल में नए स्टेडियम की छवि को भी ठेस पहुँची जहां लाखों दर्शक मैच देख सकते हैं लेकिन दो दिन में तो किसी क्रिकेट प्रेमी का मन नहीं भरता.