दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि बच्चों के खतरनाक परिस्थितियों में मजदूरों के रूप में काम करने की एक सूचना मिलने के बाद शुक्रवार को समयपुर बादली पुलिस थाना क्षेत्र में सात स्थानों पर छापे मारे गए. उसने कहा कि इस अभियान के दौरान ग्यारह बच्चों को बचाया गया
नई दिल्ली. उत्तरी दिल्ली के समयपुर बादली इलाके में बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने वाले ग्यारह लड़कों को बचाया गया है. छुड़ाए गए लड़कों में आठ साल का एक बच्चा भी शामिल है. यह जानकारी एक बाल अधिकार निकाय ने रविवार को दी. दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि बच्चों के खतरनाक परिस्थितियों में मजदूरों के रूप में काम करने की एक सूचना मिलने के बाद शुक्रवार को समयपुर बादली पुलिस थाना क्षेत्र में सात स्थानों पर छापे मारे गए. उसने कहा कि इस अभियान के दौरान ग्यारह बच्चों को बचाया गया.


डीसीपीसीआर ने अपने बयान में कहा, ‘यह बच्चे उत्तरी दिल्ली जिले के अलीपुर क्षेत्र की बेकरी इकाइयों, खराद मशीन इकाइयों और ऑटो सेंटर इकाइयों में बंधुआ मजदूर के रूप में खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे थे. एक बच्चे को एक आवासीय स्थान से बचाया गया जहां वो घरेलू सहायक (नौकर) के रूप में काम कर रहा था.’ उसने कहा कि बचाए गए बच्चों ने हर तरह के शारीरिक और मानसिक आघात का सामना किया, विशेष कर कोविड-19 महामारी के समय में.
आयोग ने कहा कि छुड़ाए गए बच्चों को शहर में बाल देखभाल संस्थानों में भेजा गया है और उन्हें उनके परिवारों के साथ फिर से मिलाया जाएगा. बाल अधिकार निकाय के अनुसार, 28 जनवरी को एक अन्य बचाव अभियान में 51 नाबालिगों को बचाया गया था, इनमें से 10 लड़के और बाकी 41 लड़कियां थीं. बचाव अभियान पश्चिम दिल्ली के नांगलोई क्षेत्र में आरा मशीन, जूता और स्क्रैप इकाइयों में चलाया गया था.
आयोग ने कहा कि दोनों बचाव अभियानों में, अधिकतर मामलों में बच्चे एक दिन में 12 घंटे से अधिक समय काम करते पाए गए और उन्हें प्रतिदिन 100-150 रुपये की न्यूनतम राशि का ही भुगतान किया जा रहा था. बयान में कहा गया है, ‘इसके अलावा, यह बच्चे बिना मास्क लगाए और बेहद अस्वस्थ परिस्थितियों में काम करते हुए पाये गए