चार महीने पहले नेपाल से दो पवित्र शिलाएं बड़ी धूमधाम और भक्ति भाव ने अयोध्या लाई गई थी। इन शिलाओं को लाते समय कहा गया था कि इनसे अयोध्या के श्रीराम मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति बनेगी। लेकिन अब श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट का कहना है कि इन पवित्र शिलाओं से रामलला की मूर्ति नहीं बनेगी।
अयोध्या । अयोध्या में भगवान श्री राम की मंदिर का निर्माण कार्य बड़ी तेजी से जारी है। दिसंबर 2023 तक मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो जाने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जनवरी-फरवरी में अयोध्या में बन रहे भव्य श्री राम मंदिर का उद्घाटन हो जाएगा। अयोध्या स्थित भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर बन रहे मंदिर से देश के करोड़ों लोगों की भावनाएं जुड़ी है। इसी भावना का प्रदर्शन लोगों ने फरवरी में तब किया था, जब नेपाल से दो पवित्र शिलाएं बिहार के रास्ते अयोध्या लाई गई थी। नेपाल की गंडकी नदी से निकाली गई पवित्र शालिग्राम की दो शिलाएं जब अयोध्या लाई जा रही थी, तब कहा गया था कि इन शिलाओं से रामलला की मूर्तियां बनाई जाएगी।


दर्शन-पूजन को सड़कों पर उमड़ा था श्रद्धा का सैलाब
इस बात की जानकारी फैलते ही सड़कों पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा था। जिस शहर से भी वो शिलाएं गुजरी, वहां हजारों की संख्या में जमा होकर लोगों की भीड़ ने उसका दर्शन-पूजन किया। लेकिन अब जो जानकारी सामने आई है कि उसके अनुसार नेपाल से लाई गई पवित्र शिलाओं से अयोध्या श्री राम मंदिर के लिए भगवान राम की मूर्तियां नहीं बनेगी।
मंदिर परिसर में रखा जाएगी नेपाल की पवित्र शिलाएं
मिली जानकारी के अनुसार नेपाल से अयोध्या लाई गई दो पवित्र शिलाओं को राम मंदिर परिसर में संरक्षित रखा जाएगा, लेकिन रामलला की मूर्ति बनाने में इनका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मंदिर का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कहा कि मूर्ति के लिए नेपाल से लाई गई प्राचीन चट्टानों को बाहर करना एक कठिन निर्णय था। मंदिर परिसर में ही इन पवित्र शिलाओं को रखा जाएगा। जहां श्रद्धालु इनकी पूजा कर सकेंगे।

दरार आने के कारण नेपाली शिलाओं से नहीं बनेगी मूर्तियां
ट्रस्ट के एक सदस्य ने बताया कि कई परीक्षणों के बाद, नेपाल की चट्टानें राम लला की मूर्ति के लिए उपयुक्त नहीं पाई गईं, क्योंकि उनमें दरारें आ गईं थीं। हालांकि, ट्रस्ट ने इन चट्टानों को राम मंदिर परिसर में ही रखने का फैसला किया है, ताकि भक्त उनकी पूजा कर सकें। वे ‘देवशिला’ हैं, उन्हें पूरा सम्मान दिया जाएगा।
कर्नाटक और राजस्थान से लाई गई चट्टानों से बनेगी रामलला की मूर्तियां
दूसरी ओर प्रसिद्ध मूर्तिकार कर्नाटक और राजस्थान से लाई गई चट्टानों से भगवान राम की तीन मूर्तियों को तराश रहे हैं। उनमें से सर्वश्रेष्ठ मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। सदस्य ने कहा, ट्रस्ट ने रामलला की मूर्ति के लिए कर्नाटक और राजस्थान की चट्टानों का उपयोग करने का फैसला किया है।
राजस्थान से लाई गई हैं सफेद मकराना संगमरमर
कर्नाटक के गणेश भट्ट नेल्लिकरू चट्टानों (काले पत्थरों) से मूर्ति बना रहे हैं, जिन्हें भगवान कृष्ण के रंग के समान होने के कारण श्याम शिला या कृष्ण शिला के रूप में भी जाना जाता है। उम्मीद है कि राजस्थान के सत्य नारायण पांडे सफेद मकराना संगमरमर के पत्थरों से मूर्ति बनाएंगे। मैसूर के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगिराज कर्नाटक से मंगाई गई दूसरी चट्टान से मूर्ति बनाएंगे।