रेलवे ने ख़राब AC वाले डिब्बे में यात्री बैठाया : 5 साल बाद आया 50 मुआवजा देने का आदेश

दक्षिण मुंबई जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग का आया आदेश 

मुंबई। ट्रेन में एयर कंडीशनिंग डिब्बे में यात्रा करने वाले लोग अक्सर खराब एसी को लेकर परेशान रहते हैं. लेकिन शिकायत की बात आती है तो लोग चुप्पी साध लेते हैं। वहीं एक बुजुर्ग ने यात्रा के दौरान खराब एसी की शिकायत की और अब उन्हें बकायदा 50 हजार रुपये मुआवजा मिलेगा। एक जिला उपभोक्ता आयोग ने रेल मंत्रालय को इस मुआवजे को देने का आदेश दिया है. साल 2017 में बुजुर्ग इलाहाबाद-मुंबई दुरंतो ट्रेन के प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने खराब एसी की शिकायत की थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि खराब एसी के कारण उन्हें 42 डिग्री गर्मी को सहना पड़ा था।

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TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता को गंभीर असुविधा का सामना करना पड़ा, साथ ही ताजी हवा के लिए कोई वैकल्पिक सुविधा नहीं थी. इससे उनका दम घुट गया और पूरी यात्रा के दौरान असुविधा हुई। जो शिकायतकर्ता की सेवा में घोर कमी है. भले ही उन्होंने आरामदायक और सुरक्षित यात्रा के लिए प्रथम श्रेणी के महंगे टिकट का भुगतान किया हो। आयोग ने आगे कहा कि यह तथ्य है कि रेलवे ने शिकायतकर्ता शिवशंकर शुक्ला को एसी के काम न करने के कारण 1,190 रुपये का टिकट किराया वापस कर दिया था. रेलवे ने खुद ही साबित कर दिया कि रेलवे ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है।  शिवशंकर शुक्ला घटना के समय 60 साल के थे।

शुक्ला अपनी शिकायत लेकर मई 2019 में दक्षिण मुंबई जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में गए थे। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि 3 जून, 2017 की शाम को इलाहाबाद जंक्शन से मुंबई की यात्रा के दौरान एयर कंडीशनर काम नहीं कर रहा था. शुक्ला ने प्रस्तुत किया कि उन्होंने इस मुद्दे को टिकट कंडक्टर के संज्ञान में लाया था। उन्होने आगे शिकायत में कहा कि एसी टेक्नीशियन ने एसी सिस्टम की मरम्मत के लिए आवश्यक कदम उठाए लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ और उन्होंने गैस भरकर इसे ठीक करने का प्रयास किया और शुक्ला को 23.25 डिग्री के मानक शीतलन तापमान के बारे में आश्वासन दिया. लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
शिकायत में कहा गया है कि एसी के काम नहीं करने के कारण जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, कोच की हालत और खराब होती गई और यह अगले दोपहर एलटीटी टर्मिनस पर ट्रेन के आने तक जारी रहा। वहीं रेल मंत्रालय और मध्य रेलवे ने प्रस्तुत किया था कि गैस रिसाव के कारण एसी में खराबी सेवा में कमी के दायरे में नहीं आती, क्योंकि यात्रा की अवधि के दौरान यह अधिनियम मानव के नियंत्रण में नहीं था।