बिलासपुर। दुर्लभ बीमारी एसएमए टाइप वन (स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी) से पीड़ित 14 माह की सृष्टि की हालत गंभीर है। वह खुद सांस भी नहीं ले पा रही है। मासूम बच्ची वेंटिलेटर में जिंदगी और मौत से लड़ रही है।

सृष्टि का उपचार कर रहे अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सुशील कुमार ने बताया कि बच्ची अब हिल भी नहीं पा रही है। शरीर की सभी मांसपेशियां शिथिल हो गई है । ऐसे में वह खुद सांस भी नहीं ले सकती है। इसलिए उसे वेंटिलेटर में रखा गया है। डा. कुमार ने बताया कि एसएमए टाइप वन बीमारी में जीन थैरेपी के अलावा कोई इलाज नहीं है। उसे संक्रमण से बचाने के लिए बीच-बीच में एंटीबायोटिक दवा दी जा रही है। अभी सृष्टि की हालत काफी चिंताजनक है। हालांकि चिकित्सकों की टीम उपचार में जुटी हुई है।
सृष्टि के पिता सतीश कुमार एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) में ओवरमैन हैं। कंपनी की ओर से उसकी मदद के लिए मंगलवार को श्रमिक संगठनों और प्रबंधन की बैठक होने वाली थी। सुबह आवश्यक काम से डायरेक्टर पर्सनल को मुख्यालय से बाहर जाना पड़ा। इसकी वजह से बैठक नहीं हो पाई। एटक एसईसीएल के महासचिव और एसईसीएल संचालन समिति के सदस्य हरिद्वार सिंह ने बताया कि सृष्टि को बचाने के लिए हर संभव प्रयास व मदद की जाएगी। अब 18 फरवरी की दोपहर इस संबंध में डायरेक्टर पर्सनल से बैठक होगी। इसमें निर्णय लिया जाएगा कि सृष्टि की मदद किस तरह की जाए।
साढ़े 22 करोड़ का इंजेक्शन

सृष्टि के पिता सतीश कुमार ने बताया कि दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी टाइप वन से पीड़ित बच्ची को बचाने के लिए साढ़े 22 करोड़ स्र्पये का जोल्जेंसमा इंजेक्श्ान की आवश्यकता है। बच्ची की लगातार बिगड़ती स्थिति के कारण माता सोनिया देवी और पिता की चिंता और बढ़ गई है। इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था करना उसके लिए मुश्किल होता जा रहा है।
सृष्टि का इलाज अपोलो अस्पताल में एसईसीएल के द्वारा कराया जा रहा है। चिकित्सक के परामर्श से ही इलाज किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर बच्ची को दूसरे अस्पताल में भेजा जाएगा।
एएस जार्ज
चीफ मैनेजर, प्रशासन विभाग