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32 लाख रुपए पत्नी को देने का ऑस्ट्रेलियन कोर्ट का फैसला सही- मुंबई कोर्ट

मुंबई। घरेलू हिंसा और तलाक से जुड़े एक मामले में मुंबई सिविल कोर्ट ने ऑस्ट्रेलियन कोर्ट का फैसला सही ठहराया है और पति को आदेश दिया है कि वह पूर्व पत्नी को 32 लाख रुपए दे।
तलाक के एक केस की सुनवाई के दौरान फैमिली कोर्ट ने एक भारतीय मूल के पति को झटका दिया है। घरेलू हिंसा के आरोप को लेकर तलाक से जुड़ा यह मामला पहले ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुआ। पति को ऑस्ट्रेलियन कोर्ट ने आदेश दिया कि वह अपनी पूर्व पत्नी को 32 लाख रुपए दे। ऑस्ट्रेलियन कोर्ट के फैसले को मानने से पति ने इनकार किया। इसके बाद पीड़ित पत्नी ने भारतीय न्यायालय की शरण ली। अब मुंबई सिविल कोर्ट ने भी ऑस्ट्रेलियन कोर्ट का यह फैसला सही ठहराया और पति को आदेश दिया कि वो अपनी पत्नी को 32 लाख रुपए दे।

मूल रूप से यह भारतीय दंपत्ति ऑस्ट्रेलिया में जाकर सेटल हो गई थी। वहां इस दंपत्ति को ऑस्ट्रेलियन सिटिजनशिप भी मिल गई थी। घरेलू हिंसा से तंग आकर पत्नी ने पहले ऑस्ट्रेलियन कोर्ट में ही तलाक की अर्जी और हिंसा की शिकायत दर्ज करवाई। जब पति ने ऑस्ट्रेलियन कोर्ट का फैसला मानने से इनकार किया तब जाकर मुंबई के सिविल कोर्ट में यह मामला आया। मुंबई के सिविल कोर्ट ने भी ऑस्ट्रेलियन कोर्ट के फैसले को कायम रखते हुए 55 साल के संबंधित पति को यह निर्देश दिया कि वह अपनी पत्नी को 32 लाख रुपए दे वरना अगली कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहे।

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शादी भारतीय तरीके से, फैसला भी भारतीय कोर्ट करे- पति का था तर्क
17 साल पहले पीड़िता ने अपने पति के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई। तब से ही कोर्ट की यह लड़ाई शुरू थी। 17 साल तक कोर्ट की यह लड़ाई चली। फैसला सुनाते वक्त मुंबई सिविल कोर्ट ने पति को कड़ी फटकार भी लगाई और पत्नी को भरपाई देने का आदेश दिया। 2009 में पत्नी भारतीय कोर्ट की शरण लेने आई। ऑस्ट्रेलियन कोर्ट ने 2007 में ही अपना फैसला सुनाते हुए पति को अपनी पत्नी को 32 लाख रुपए और सोने के गहने देने का आदेश दिया था।

पति का तर्क था कि यह आदेश उस पर इसलिए लागू नहीं होता क्योंकि शादी भारतीय रीति रिवाजों के हिसाब से हुई थी। इसलिए तलाक और इससे जुड़े विवाद का फैसला भी भारतीय कानून के हिसाब से होगा। पति की यह भी दलील थी कि पत्नी के आरोप झूठे हैं और उन आरोपों का कोई आधार नहीं है।

पत्नी ने जताया था अपनी संतानों, पति की 70 फीसदी संपत्ति पर हक
पत्नी ने पति पर हिंसा का आरोप लगाते हुए मांग की थी कि पति की संपत्ति की 70 फीसदी हिस्सेदारी और बच्चों को अपने पास रखने का उसे हक मिले। अब कोर्ट ने फैसला पत्नी के हक में सुनाया है।