27 राज्यों के 2213 खिलाड़ी हुए शामिल
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में पहली बार शुक्रवार को ऑल इंडिया कराते चैम्पियनशिप 2022 का आयोजन किया गया। दो दिवसीय इस चैम्पियनशिप में 27 राज्यों के 2213 खिलाड़ी शामिल हुए। इनमें छत्तीसगढ़ के 16 जिलों के 522 बच्चे भी शामिल हैं। खास बात यह है कि प्रतियोगिता में पश्चिम बंगाल से आईं 72 साल की वृद्ध महिला टीचर ने बतौर खिलाड़ी हिस्सा लिया। इस चैम्पियनशिप का आयोजन एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ ओलिंपिक एसोसिएशन के बैनर तले किया गया था।

दैनिक भास्कर ने वृद्ध खिलाड़ी के साथ ही एशिया कप 2013 की गोल्ड मैडलिस्ट हरियाणा की खिलाड़ी और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया जबलपुर में पदस्थ असिस्टेंट कोच विजेता चौधरी से खास बातचीत की।इस दौरान उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा के लिए कराते सीखना जरूरी है। विशेष रूप से गर्ल्स स्टूडेंट और महिलाओं को प्रशिक्षण जरूरी है। देर से ही सही, पर अब कराते के दिन भी आने वाले हैं। देश के तमाम स्कूलों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

61 साल की उम्र में शुरू किया कराते
पश्चिच बंगाल के कोलकाता के दत्तपुकुर की 72 साल की रिटायर्ड टीचर मुक्ति मुखर्जी 5 बार कराते का नेशनल खेल चुकी हैं। वह साल 2011 से खेल रही हैं। बताती हैं कि इसके पहले भी उनकी रुचि थी, लेकिन तब एथलेटिक्स और दूसरे खेलों के साथ ही और योग प्राणयाम में ध्यान देती रही हैं। शिक्षक रहते हुए पढ़ाने के साथ-साथ 12 साल तक नाटक, डांस सिखाती रहीं। उन्होंने कहा कि कराते बहुत ही फुर्तिला गेम है। मैने अपनी पूरी एनर्जी कराते में लगा दी और सीखने का जुनून बन गया।
कराते में प्रशिक्षण लेने के बाद वह पांच बार नेशनल गेम खेल चुकी हैं। उन्होंने कहा कि देश में तरह-तरह के खेल हैं, लेकिन कराते से शरीर को नई ऊर्जा मिलती है। इससे शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। इसके साथ ही दिल, दिमाग को भी स्ट्रांग रखता है। उन्होंने कहा कि इस उम्र में भी मुझे कराते खेलने से ऊर्जा मिलती है और कराते नहीं खेलते पर थकान और तकलीफ महसूस होती है। यही वजह है कि मुझे किसी तरह की कोई बीमारी नहीं हुई। कोरोना काल में भी मैं रोज कराते खेलती थी।
हरियाणा की गोल्ड मैडलिस्ट बोलीं- कराते का युग आने वाला है

हरियाणा के हिसार की विजेता चौधरी एशिया कप में 2013 में गोल्ड मैडलिस्ट रहीं हैं। उन्होंने कहा कि कराते को भारत में जापानी खेल माना जाता रहा है। हालांकि, बाद में इसे सरकार ने सेफ गेम बनाया। टच एंड बैक वाला। इसके बाद इसे ऑल ओवर स्पोर्ट्स गेम बनाया गया और इसके प्रति रुझान देखने को मिला। कराते आत्मरक्षा का खेल है। स्कूली छात्राओं के लिए यह गेम आत्मरक्षा के लिए जरूरी है। कराते को भी दूसरे खेलों की तरह बढ़ावा मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता में बहुत छोटे-छोटे बच्चे हैं। उन्हें कराते में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। उनके पेरेंट्स भी इसे करियर के रूप में चुनेंगे। नेशनल गेम से छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को सीख मिलेगी और नेशनल लेबल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे। यह भी कोशिश करना चाहिए कि कराते पर मूवी बने और स्पॉन्सरशिप मिले। हालांकि, देर से ही सही अब देश में कराते का युग आने वाला है। क्योंकि, हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चों को सेल्फ डिफेंस गेम्स बहुत जरूरी है।

अंडर 6 से लेकर 68+ ने लिया हिस्सा, CG में कराते को लेकर दिखा उत्साह
ऑल इंडिया कराते चैम्पियनशिप में देश के 27 राज्यों के 2213 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमें छत्तीसगढ़ के 16 जिलों के 522 कराते खिलाड़ी भी शामिल हुए। प्रतियोगिता में अंडर 6 ईयर के बच्चों से लेकर 68+ तक के खिलाड़ियों ने भाग लिया। इसके साथ ही टूर्नामेंट में CRPF और ITBP के जवानों ने भी कराते की कलाबाजी दिखाए। इस नेशनल चैम्पियनशिप में पहली बार छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों में खासा उत्साह देखने को मिला।

छत्तीसगढ़ कराते एसोसिएशन के महासचिव बोले- खिलाड़ियों को मिलेगा मंच
छत्तीसगढ़ कराते एसोसिएशन के महासचिव अविनाश शेट्टी ने कहा कि नेशनल चैम्पियनशिप से छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को मंच मिलेगा। जब 1987 से 1992 में जब कराते खेलते थे, तब हमें नेशनल टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए दूसरे राज्य जाना पड़ता था। उस समय आर्थिक परेशानी के चलते खिलाड़ी नेशनल गेम में भाग नहीं ले पाते थे। कराते को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए मंच जरूरी है। बच्चों को नेशनल गेम तक पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ में इस तरह का आयोजन किया गया।