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जीएसटी की मार से महंगे होंगे पैक्ड दही, बटर, छाछ, श्रीखंड और गुड़

जीएसटी लागू होने से पैक्ड दही, बटर, लस्सी, छाछ, श्रीखंड और गुड़ के साथ अनाज की लिस्ट में शामिल कई चीजों के दाम 1 से 15 रुपए तक बढ़ जाएंगे।

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रायपुर। जीएसटी की मार अब 16 जुलाई से खाने पीने की के पैक्ड फूड यानी डिब्बा बंद चीजों पर भी पड़ने जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से इन चीजों पर 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया है। जीएसटी लागू होने से पैक्ड दही, बटर, लस्सी, छाछ, श्रीखंड और गुड़ के साथ अनाज की लिस्ट में शामिल कई चीजों के दाम 1 से 15 रुपए तक बढ़ जाएंगे। इससे परिवार पर अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ेगा। खासतौर पर किराना और किचन में काम आने वाली चीजों की कीमत बढ़ने से हर महीने का बजट भी बढ़ जाएगा।

डिब्बा बंद फूड एक ओर महंगा होगा और दूसरी ओर उस पर टैक्स भी उतना ही ज्यादा देना होगा। पड़ताल में पता चला है कि 200 रुपए के फूड पैक्ड पर 15 रुपए ज्यादा देने होंगे। यानी जो चीजें अब तक 200 में उपलब्ध हैं, उनकी कीमत 215 रुपए हो जाएगी। आमतौर पर पैक्ड वाली चीजों का उपयोग रोजाना किचन में ज्यादा होता है। जीएसटी के नए फैसले के अनुसार कोई किराना दुकानदार अपनी चीजों की केवल पहचान के लिए किसी मार्का के साथ उसे पैक कर बाजार में बिक्री करता है तो उसे भी 5 फीसदी जीएसटी देना होगा।

उदाहरण के लिए ऐसे कारोबारी जिनकी दुकानें नाम से चर्चित हैं और अगर उन्होंने अपनी दुकान का मार्का ही खाद्य सामग्री में प्रिंट करवाकर चिपका दिया तो वे भी टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। उन्हें अतिरिक्त जीएसटी देना होगा। कारोबारियों के मुताबिक इस फैसले से प्री-पैकेज्ड लेबल वाले कृषि उत्पाद जैसे पनीर, छाछ, दही, आटा, अनाज, शहद, पापड़, खाद्यान्न, मांस-मछली (फ्रोजन को छोड़कर), मुरमुरे, गुड़, पोहा आदि चीजों की कीमतें भी बढ़ जाएंगी।

हर परिवार प्रभावित| बिना ब्रांड वाली चीजों का उपयोग घरों में ज्यादा
छत्तीसगढ़ समेत देशभर में केवल 15 फीसदी आबादी ही बड़े ब्रांड के सामान का उपयोग करती है। बाकी 85 फीसदी मिडिल वह लोवर मिडिल क्लास परिवार बिना ब्रांड या मार्का वाले प्रोडक्ट ही खरीदती है। ऐसे में सभी चीजों पर जीएसटी लगाने से बड़ी आबादी प्रभावित होगी। छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर पारवानी का कहना है यह फैसला लोगों को परेशान करने वाला है। इसे तत्काल वापस लेना चाहिए। आम लोगों की चीजों को टैक्स स्लैब में लाने के बजाय टैक्स का दायरा बड़ा करना चाहिए। आजादी के बाद से अब तक खाद्यान्नों पर कभी भी टैक्स नहीं लगाया गया था। लेकिन पहली बार बड़े ब्रांड वाले खाद्यान्न को टैक्स के दायरे में ला दिया गया है।

बनेगी संंघर्ष समिति| जीएसटी काउंसिल के फैसले का होगा विरोध राज्यभर में
प्री पैक्ड चीजों पर जीएसटी लगाने के फैसले का प्रदेश के बड़े व्यापारी संगठन छत्तीसगढ़ चैंबर और कैट ने संयुक्त रूप से विरोध शुरू कर दिया है। इसके लिए राज्यस्तरीय संघर्ष समिति भी बनाई जा रही है। इस मामले में कैट के राष्ट ्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल रायपुर पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस फैसले का विरोध देशभर में किया जा रहा है।

दिल्ली, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, केरल समेत कई राज्यों में जीएसटी वापस लेने के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक ब्रांडेड नहीं होने पर विशेष खाद्य पदार्थों, अनाज आदि को जीएसटी से छूट दी गई थी। लेकिन पिछले महीने हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में प्री-पैक्ड, प्री-लेबल चीजों को जीएसटी के दायरे में ला दिया गया है। इस वजह से अनब्रांडेड प्रीपैक्ड खाद्यान्न जैसे आटा, पोहा आदि पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया जा रहा है।

4 लाख से ज्यादा कारोबारियों पर होगा सीधा असर

व्यापारी संगठनों के अनुसार अनब्रांडेड प्रीपैक्ड सामान पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने का सीधा असर राज्यभर के 4 लाख से ज्यादा कारोबारियों पर होगा। यह सभी कारोबारी छोटे-बड़े स्तर पर खाने-पीने की चीजों का कारोबार करते हैं। नया टैक्स लगने के बाद इनमें बड़े कारोबारियों को जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में भी दिक्कत होगी।

ऐसे कारोबारी जिनका टर्नओवर 40 लाख तक है लेकिन वे अभी तक जीएसटी में पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें भी रिटर्न दाखिल करने में परेशानी होगी। व्यापारियों का कहना है कि 2 साल तक कोरोना और लॉकडाउन के बाद बाजार अब संभला है। ऐसे में छोटी-छोटी चीजों पर जीएसटी लगाकर कारोबार को प्रभावित किया जा रहा है।टैक्स बढ़ने से आम लोगों के साथ ही हर वर्ग के लोगों की परेशानी ही बढ़ेगी।