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कोरोना काल के बाद स्कुल खुलने पर पुस्तक कापी के बदले पकड़वाया फावड़ा-कुदाली

 राजनांदगांव  जिले के डोंगरगढ़ ब्लॉक के पटपर पूर्व माध्यमिक शाला का है जहां इस कोरोना काल में अभिवावक अपने बच्चों को अपनी ही जिम्मेदारी पर पढ़ने भेज रहे हैं

 

राजनांदगांव. बच्चे जिन्‍हें देश का भविष्य माना जाता है और बच्‍चों के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी स्कूल (School) में शिक्षकों के हाथो मे होती है. लेकिन इसे विडंबना ही मानें कि जिन शिक्षकों को भगवान का स्वरूप माना जाता है, उन्ही में से कुछ शिक्षकों गैर जिम्मेदाराना रवैए से पूरे शिक्षा विभाग पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. ताजा मामला छत्तीसगढ़  के राजनांदगांव  जिले के डोंगरगढ़ ब्लॉक के पटपर पूर्व माध्यमिक शाला का है. जहां इस कोरोना काल में बच्चों को अभिवावकों द्वारा अपनी जिम्मेदारी पर ही पढ़ने भेजा जा रहा है.. इसे स्कूल की नजरअंदाज़गी मानें या जान बुझ कर किया गया कृत्य माने की बच्चो को पढ़ाना छोड़ कर उनके हाथो मे रापा और कुदाली थमा दिया गया. बच्चे अपने शिक्षक के आदेश का पालन करते हुए घास साफ करते नजर आए.
प्रधान अध्यापक ने दिया गोलमोल ज़वाब
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जब स्कूल के प्रधान अध्यापक से इस संबंध में बात करनी चाही तो वे गोल मोल जवाब देते नजर आए. इसके बाद फोन पर उच्च अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने अपने बाहर होने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया. ऐसे में अब देखना यह है कि देश का भविष्य माने जाने वाले इन बच्चों से ऐसे कृत्य कराने वाले प्रधान अध्यापक पर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्यवाही देखने को मिलती है या फिर जांच के नाम पर महज खानापूर्ति ही होती नजर आएगी.
भविष्य की चिंता  लगी अभिभावकों को 
एकअभिवावक परसराम साहू का कहना है कि बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है और अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में शिक्षा लेने भेजते हैं, लेकिन झाड़ू ,फावड़ा और साफ सफाई का सामान लेकर बच्चे स्कूल परिसर में साफ सफाई करते हैं तो ऐसी स्थिति में देश के भविष्य का क्या होगा. जब सरपंच किशन कंवर से इस मामले में बात की गई तो सरपंच ने कहा कि इस मामले की जानकारी मुझे नहीं है. पता करके कार्रवाई की जाएगी.