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आयुष्मान भारत योजना के नाम पर डाक्टर ने किया करोड़ों का घोटाला

भोपाल। मध्य प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना में भी ठगों और भ्रष्ट लोगों ने सेंध लगा दी। गरीबों के इलाज के नाम पर करोड़ों का फर्जीवाड़ा कर दिया गया।  भोपाल क्राइम ब्रांच ने एक निजी अस्पताल के संचालक पर FIR दर्ज की है। आयुष्मान योजना के अलावा मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान अनुदान योजना में भी फर्जीवाड़े की जांच की जा रही है।

भोपाल के एक डॉक्टर पद्माकर त्रिपाठी महाप्रबंधक आयुष्मान भारत ने क्राइम ब्रांच में एक लिखित शिकायत की थी। इस शिकायत में उन्होंने वैष्णो मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के संचालक विवेक परिहार पर आयुष्मान भारत योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. क्राइम ब्रांच ने प्रारंभिक जांच कर आरोपी विवेक परिहार पर एफ आई आर दर्ज की। ये हॉस्पिटल पिपलानी इलाके में स्थित है। हॉस्पिटल संचालक विवेक परिहार ने जालसाजी करते हुए फर्जी क्लेम पेश कर आयुष्मान भारत योजना के पैसे हड़प लिए।

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वास्तविक मामला यह है …
वैष्णो मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल को पात्र हितग्राहियों का निशुल्क इलाज करने के लिए कहा गया था। डॉक्टर पद्माकर त्रिपाठी महाप्रबंधक आयुष्मान भारत की शिकायत पर जब राज्य स्वास्थ्य परिषद ने जांच की तो पता चला कि अस्पताल ने स्टेट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर में ऐसे मरीजों के बिल पेश किए हैं जिन्हें भर्ती ही नहीं किया गया था। धोखाधड़ी की इस गतिविधि को Phantom billing कहा जाता है। फैंटम बिलिंग तब होती है जब स्वास्थ्य सेवा देने वाला अस्पताल योजना के अंतर्गत इलाज करने का दावा कर बिल पेश करता है।  लेकिन असल में उसने किसी मरीज का इलाज नहीं किया होता।

2.41 करोड़ रुपये का क्लेम
वैष्णो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने 2.41 करोड़ रुपए का क्लेम किया था। सरकार ने उसे 1.78 करोड़ रुपये का भुगतान आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत कर दिया. अस्पताल ने मरीज की भर्ती और डिस्चार्ज रिपोर्ट का फर्जीवाड़ा ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर के जरिए किया। शिकायत मिलने पर स्टेट एजेंसी ने जांच शुरू की तो पता चला कि वैष्णो मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के संचालक विवेक परिहार ने ये जालसाजी  कर आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पैसा हड़पा है। इस प्रकरण में अस्पताल के साथ हितग्राहियों के भी शामिल होने का संदेह है।