भक्तों की रक्षा के लिए भगवान लेते हैं अवतार*


सतना 12मई रमाकांत गर्ग के निज निवास मारुति नगर में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा व्यास राघवेंद्र त्रिपाठी महाराज जी ने तृतीय दिवस की कथा राजा परीक्षित ने श्री सुखदेव जी महाराज से नरक यातना ओं के बारे में प्रश्न करने पर श्री सुखदेव जी महाराज ने कहा कि हे राजन प्राणी को अपने माता-पिता व गुरुजनों का हमेशा सम्मान करना चाहिए उनका अपमान नहीं करना चाहिए नहीं तो प्राणी को कुंभी पाक नरक यातनाएं भोगनी पड़ती है।
भक्त प्रहलाद चरित्र का विस्तार से वर्णन करते हुए रावेद्र त्रिपाठी जी महाराज ने कहा कि श्री सुखदेव जी महाराज ने राजा परीक्षित से कहा कि हे राजन प्राणी को भगवान की भक्ति करते हुए उन्हें अपना जीवन समर्पण भाव से जीवन जीना चाहिए। भगवान भक्तों के अधीन हैं माता शबरी के जूठे बेर प्रभु श्री राम ने ग्रहण किया था। और माता शबरी को मुक्ति प्राप्त हुई थी भक्ति मार्ग के द्वारा भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है।
महाराज श्री ने कहा कि भगवान भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं भक्ति मार्ग में परेशानियां बहुत आती है भक्त पहलाद को हिरण्यकश्यप द्वारा जल अग्नि व पर्वत से फेक वाया लेकिन भक्त पहलाद की रक्षा के लिए भगवान नरसिंह अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की।
श्री सुखदेव जी महाराज ने राजा परीक्षित से कहा कि हे राजन हमारे मन रूपी मथानी से विश रूपी कपट जहर निकलता है अंत में श्रीमद्भागवत रूपी अमृत निकलता है।
कथा व्यास राघवेंद्र त्रिपाठी जी महाराज ने कहा प्राणी अपने द्वारा किए गए कर्मों क भोग करता है।
आगे की कथा में राघवेंद्र जी महाराज ने कहा कि श्री सुखदेव जी महाराज ने राजा परीक्षित से कहा कि हे राजन भगवान को प्राप्त करने के लिए ज्ञान भक्ति और वैराग्य द्वारा भगवान नारायण की आराधना से प्राणियों को मुक्ति अवश्य प्राप्त होती है श्रीमद्भागवत महापुराण कथा श्रद्धालु भक्तजनों ने कथा रसपान किया।
*इनकी रही उपस्थिति*
शिव शरण गर्ग कमला गर्ग हरिशंकर गर्ग राम भगत गर्ग हरि नारायण गर्ग उमा नारायण गर्ग विद्याधर गर्ग दीपू गर्ग सिंधी गर्ग श्यामधर गर्ग राजेश गर्ग लालू गर्ग शशिधर गर्ग राजभर गर्ग कामता बृजेश सुरेंद्र मनोज रामकिंकर नीलेश गर्ग नरेंद्र जयसवाल नीरज गर्ग नितिन गर्ग एवं भक्तजन उपस्थित होकर पुण्य लाभ अर्जित किया।