गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागु पाय,ये कभी गुरु के लिए उपयोग किया जाता था लेकिन आज के समय में इनके पैर पकड़ना यानी अपनी मौत के पास धीमा ज़हर लेते जाना है |

हम जो धीमाँ ज़हर की बात कर रहे हैं उसका नाम है सितार |ये सितार संगीत वाला नहीं है बल्कि मौत के आगोश में ले जाने वाला गुटका है | विश्वस्त सूत्रों से पता चला है की हमारे शहर के पास ही यहीं के निवासी गुरुमुख रूपी गोविन्द है जिन्होंने इस ज़हर को फिर से पुनर्जीवित किया है |जी हाँ यह कई सालों पहले सितार गुटका के नाम से जाना जाता था लेकिन किसी विबाद के कारण उसका अंत हो गया है इसी गुटके को उसी पुराने सितार का नाम देखर भोले भाले जनता को खपाया जा रहा है |सिर्फ तम्बाकू मिला गुटका होने का हवाला देकर|
डुप्लीकेट बनाने वाले ने लगता है ठेका ले रहा है घुलाई करने का फिर चाहे कपड़ा हो या फिर जिंदगी

विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है की इन डुप्लीकेट सीता बनाने वाले एक नहीं बल्कि पूरा परिवार ही जुड़ा है बनाने वाला बड़ा ही शातिर किस्म का है जो रहता है सबसे दूर शर में काम देखने वाला उसका भाई है जो पुरे लेन देंन का काम देखता है|बड़ा भाई तो पुरा का पूरा भोला है| कुछ समय पूर्व में सितार गुटका को सम्बंधित क्षेत्र के पुलिस के द्वारा पकडे जाने की जानकारी मिली थी इस दौरान मिडिया भी आ गई थी तब इस महागुरु ने इतनी शांति से मामले लो मैनेज किया वह बड़ा आश्चर्यजनक है ,मामले का आज कहिनता पता नहीं है |
कई राज्यों में हो रही सप्लाई
जो डुप्लीकेट सितार का निर्माण किया जा रहा है उससे ये निर्माता करोणों की कमाई अवैध रूप से कर रहे है ,क्योंकि इसका नाम ही काफी है सितार |नाम के अनुरूप मांग आने पर दुसरे राज्य में भी धड़ल्ले से इसकी सप्लाई की जा रही है |
छ.ग.राष्ट्रीय पान किसान यूनियन ने कार्यवाही की मांग की
राष्ट्रीय पान किसान यूनियन जिसके संरक्षक श्री पी.एल.पुनिया जी ,[कांग्रेस प्रभारी छ.ग.] है इस संस्था दुर्ग जिला अध्यक्ष राकेश तम्बोली है जिन्होंने शासन से मांग की है की इस दुप्लोकेट सितार के बिक्री पर तत्काल बैन लगाया जाए साथ ही इसके विक्रय करने पर कठोर से कठोर दंड दिया जाए |