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बम्लेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़ में स्थापित हुआ 198 किलो का स्वर्ण-ताम्र कलश

गुप्त नवरात्र पर्व में जगन्नाथपुरी के पूजनीय शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती विशेष रूप से शामिल हुए 

डोंगरगढ़।  छत्तीसगढ़ के राजनांदागांव जिले में डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर के शिखर पर 198 किलो तांबे से बने कलश की गुरुवार को हुई । इस कलश पर सवा करोड़ रुपए के सोने से बना पत्तर भी लगाया गया है। कलश स्थापना के लिए पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती विशेष रूप से आमंत्रित किये गए थे । उनके सानिध्य में मां बम्लेश्वरी, श्री गणेश व श्री भैरव बाबा मंदिर के शिखर पर कलश की स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा हुई ।

10 सालों से चल रहा था निर्माण कार्य।
                                10 सालों से चल रहा था निर्माण कार्य।

माँ बम्लेश्वरी देवी पहाड़ों वाली मातारानी

माँ बम्लेश्वरी देवी निचे मंदिर वाली मातारानी

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मां बम्लेश्वरी मंदिर में स्वर्ण-ताम्र कलश स्थापना के साथ अक्षरधाम की तर्ज पर करीब 12 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से नीचे बने मां बम्लेश्वरी मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य पूरा होगा। मंदिर प्रांगण में 2 फरवरी से रोजाना वैदिक विद्वानों द्वारा यज्ञ और कलश का अधिमास चल रहा था। मंदिर पर स्थापित होने वाले 198 किलो के तांबे के कलश में 2581 ग्राम सोने का पत्तर लगाया गया है, जिसकी कीमत करीब सवा करोड़ रुपये बताई गई।

मंदिर में वैदिक विद्वानों द्वारा यज्ञ और कलश का अधिमास किया जा रहा है।
                 मंदिर में वैदिक विद्वानों द्वारा यज्ञ और कलश का अधिमास के दौरान चल रहा अनुष्ठान

कलश स्थापना के साथ हुआ  सहस्त्र चंडी महायज्ञ
गुरुवार सुबह 11.30 बजे नवनिर्मित भव्य मंदिर में मूर्ति और स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा सहस्त्र चण्डी महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ जगद्गुरु शंकराचार्य ने किया  । इसके बाद विशाल धर्मसभा में शंकराचार्य आशीर्वचन, धर्मोपदेश और आध्यात्मिक प्रवचन देंगे। वहीं बुधवार शाम को शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती नीचे मंदिर प्रांगण में हिन्दू संगोष्ठी को संबोधित कर प्रवचन दिया |

शैयाधिवास में रखा गया था स्थापित होने वाली मूर्ति को
इससे पहले मंगलवार शाम स्थापित की जाने वाली मूर्ति को शैयाधिवास में रखा गया था। बुधवार सुबह गणेश भैरव भगवान स्थापन के द्वारा विविध जड़ी-बूटी एवं औषधियों के द्वारा विभिन्न सामग्री देव वृक्षों के पत्र, पंचामृत, पंचगव्य आदि से वैदिक मंत्रों के द्वारा अभिमंत्रित गंगाजल, तीर्थ जल तथा समुद्र जल आदि से विशेष स्नान कराया गया। फिर मंत्रों से न्यास और प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम वैदिक रीति से हुआ ।

निचे मंदिर में स्थापित हुए श्री गणेश जी व  भैरव बाबा जी