जालोर। पढ़ाई का मकसद सिर्फ सरकारी नौकरी पाना ही नहीं होता है।जालोर जिले के सरदारगढ़ के 77 वर्षीय हुकुमदास वैष्णव तो यही मानते हैं। तभी तो दो-दो विभागों में सरकारी नौकरी पूरी करने के बाद भी उन्होंने पढ़ने का जज्बा नहीं छोड़ा। दसवीं में 56 बार फेल होकर भी हुकुमदास का जज्बा पढ़ाई के प्रति कम नहीं हुआ। वो 57वीं बार में 2019 में स्टेट ओपन से दसवीं की परीक्षा पास करके ही माने। अब उन्होंने 12वीं करने के लिए मंगलवार को स्टेट ओपन से जालोर में आवेदन किया है।


हुकुमदास वैष्णव की दसवीं पास करने की जद्दोजहद और कहानी भी काफी रोचक है। मंगलवार को हुकुमदास वैष्णव ने जालोर शहर के स्टेट ओपन के संदर्भ केंद्र राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय शहरी में 12वीं कला वर्ग से आवेदन किया। मजे की बात यह है कि अब तो उनके पोते भी स्कूलिंग पूरी कर चुके हैं।
1962 में दी पहली बार दसवीं की परीक्षा
जालोर के सरदारगढ़ गांव में 1945 में जन्मे हुकुमदास ने कक्षा 1 से 8 तक तीखी गांव से पास की थी। मोकलसर में 1962 में पहली बार दसवीं की परीक्षा दी। बाड़मेर में परीक्षा केंद्र था. पहली परीक्षा में पूरक आए दूसरी बार परीक्षा देने पर फेल हो गए। दोस्तों ने चैलेंज दिया कि तू दसवीं पास नहीं हो सकता। इस पर हुकुमदास ने कसम खा ली कि अब दसवीं पास करके दिखाऊंगा।
जिद्दी विद्यार्थीं का लंबा संघर्ष
हुकुमदास वैष्णव कहते हैं कि फेल होने से हार मत मानो. बकौल हुकुमदास मैं 56 बार फेल हो चुका हूं। 2019 में स्टेट ओपन से द्वितीय श्रेणी से 10वीं क्लास पास की. पहली बार यह परीक्षा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 1962 में दी। पहली बार फेल होने के बाद भू-जल विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी बन गए।
2005 में कोषालय विभाग से रिटायर हुए
इस पर नियमित पढ़ाई छोड़कर स्वयंपाठी के रूप में परीक्षाएं देनी शुरू कर दिया। 2005 में कोषालय विभाग से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद से रिटायर हुए. 2010 तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 48 बार परीक्षा स्वयंपाठी के तौर पर दी। उसके बाद स्टेट ओपन से ट्राई किया। आखिरकार 2019 में स्टेट ओपन से द्वितीय श्रेणी से 10वीं पास की. अब 2021-22 से कक्षा 12वीं में प्रवेश लिया है।